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अवैध निर्माण पर HC की सख्ती, 10 साल से कार्य कर रहे आला अधिकारियों का मांगा रिकॉर्ड - shimla high court

शिमला-कालका NH पर हाईकोर्ट की सख्ती. मांगे आला अधिकारियों के रिकॉर्ड.

शिमला हाईकोर्ट

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Published : Mar 20, 2019, 10:02 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रदेश मुख्य सचिव को टाउन कंट्री विभाग में पिछले 10 सालों में कार्य कर चुके उन सभी आला अधिकारियों के नाम बताने के आदेश दिए, जिनके कार्यकाल के दौरान शिमला कालका राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर अवैध निर्माण हुए.

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आला अधिकारियों में टीसीपी के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, सयुंक्त सचिव, विशेष सचिव अथवा यूडी और साडा में तैनात रहे निरीक्षण अधिकारियों का विस्तृत ब्यौरा देने को कहा है. कोर्ट ने अधिकारियों के कार्यकाल के समय, उनके द्वारा अवैध निर्माण को रोकने के लिए की गई कार्यवाई का ब्यौरा भी मांगा है.

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिकारियों के नाम सामने आने पर कोर्ट विचार करेगा कि उनके खिलाफ अवैध निर्माण को बढ़ावा देने के लिए क्यों न आवश्यक कार्यवाही की जाए. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन सभी कर्मियों के खिलाफ कार्यवाई अमल में लाई जाएगी जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान उक्त सड़क मार्ग के आसपास अवैध निर्माण होने दिए व जानबूझ कर कोई कार्यवाई नहीं की.

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश सन्दीप शर्मा की खंडपीठ ने मुख्य सचिव सचिव को ये जानकारी 6 मई तक देने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने नगर निगम शिमला, शोघी, कंडाघाट, बड़ोग, सोलन वकसौली प्लानिंग क्षेत्र की स्पेशल एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी को आदेश दिए कि वह अपने क्षेत्र के अवैध, अनाधिकृत, अनअप्रूव्ड व अस्वीकृत निर्माणों की विस्तृत सूची तैयार कर कोर्ट को बताए.

उक्त अथॉरिटीज को ये भी बताना होगा कि अवैध निर्माणों को एक इंच भी कम्पाउंडिंग किये बिना कितने समय के भीतर हटा दिया जाएगा. कोर्ट ने उन संबंधित कर्मियों के नाम भी बताने को कहा है जो इन आदेशों को लागू करने के लिए जिम्मेवार होंगे ताकि समय आने पर लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्यवाई की जा सके.

नगर परिषद सोलन को गुम हुए रिकॉर्ड को पुनः तैयार करने के आदेश भी दिए. कोर्ट ने चेताया कि ऐसा न करने पर नगर परिषद सोलन के कार्यकारी अधिकारी व प्रधानों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाएंगे जिनके कार्यकाल में रिकॉर्ड गुम हुआ. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की स्टेटस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि केवल जूनियर इंजीनियर व उससे निचले स्तर के कर्मियों को अवैध निर्माण में लापरवाही बरतने का दोषी बताना सही नहीं है. इसमें वो आला अधिकारी भी जिम्मेवार हैं जो चाहते तो अवैध निर्माण रुकवा सकते थे. बता दें कि मामले पर अगली सुनवाई 6 मई को होगी.

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