शिमला:हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि कोविड संकट की इस घड़ी में कोई भी फ्रंट लाइन वर्कर अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ सकता.
जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते फ्रंट लाइन वर्कर
दरअसल ऊना जिले के कोविड मेकशिफ्ट अस्पताल में एक डॉक्टर की नियुक्ति डेपुटेशन पर की गई थी. डॉक्टर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि 2018 में एक एक्सीडेंट के कारण वो पांच महीने अस्पताल में भर्ती रहा था. याचिका में डॉक्टर ने तर्क दिया कि एक्सीडेंट के कारण शरीर में आई स्वास्थ्य संबंधी समस्या के कारण वो डेपुटेशन पर सेवाएं देने में असमर्थ हैं. हाईकोर्ट ने डॉक्टर के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और याचिका खारिज कर दी. साथ ही यह भी कहा कि संकट के इस समय में कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए. इसके अलावा हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि याचिकाकर्ता की सेवा करने की इच्छा नहीं लग रही.
याचिकाकर्ता डॉक्टर को सेवा करने की अपनी अनिच्छा की आड़ में कर्तव्य और जिम्मेदारी से बचने की इजाजत नहीं दी जा सकती. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि अधिक भीड़ वाले अस्पतालों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, पुलिसकर्मी और अन्य फ्रंट लाइन वर्कर पर पहले से ही काम का अतिरिक्त बोझ है. यह सभी लोग लगभग एक वर्ष से बिना थके इस महामारी का सामना कर रहे हैं. खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा समय में कोविड-19 के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है. बड़े पैमाने पर कोरोना से लोगों की मौत हो रही है.