शिमला:मौसम की मार अबकी बार सेब पर भी दिखने लगी है. सूखे और अधिक तापमान के चलते प्रदेश में सेब के बागीचों में अबकी बार फ्लावरिंग समय से पहले होने के आसार बन गए हैं. अनुकूल मौसम न होने से कई जगह बागीचों में चिलिंग आवर्स पूरे न होने की संभावना बनी हुई है. निचले और मध्यम इलाकों में इसकी समस्या आ रही है. इससे सेब की फसल प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है.
मौसम अबकी बार बागवानी के लिए प्रतिकूल बना हुआ है. अभी तक अधिकतर इलाकों में बर्फबारी नहीं हुई है. आम तौर पर दिसंबर और जनवरी माह में ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो जाती थी. फरवरी माह में भी कई बार बर्फ गिरती है, हालांकि यह ज्यादा नहीं टिक पाती. मगर इस बार फरवरी माह भी गुजरने वाला है. अभी तक बर्फ नहीं गिरी है. ऐसे में इससे सेब के बागीचों में सूखा पड़ा हुआ है. हालांकि कुछ बारिश पहले हुई है, लेकिन यह कम हुई. मौसम के लगातार साफ रहने से तापमान भी बढ़ने लगा है. इसका सीधा असर सेब के बागीचों पर देखने को मिल रहा है
अबकी बार बागीचों में समय से पहले फ्लावरिंग. बागीचों में जल्दी फ्लावरिंग की बन गई संभावना-अभी तक जिस तरह से मौसम बना हुआ है, उससे सेब के बागीचों में जल्द फ्लावरिंग होने की पूरी संभावना बनी हुई है. आम तौर पर मार्च के अंत और अप्रैल माह में ही अधिकांश इलाकों में फ्लावरिंग होती है, मगर गर्मी बढ़ने और सूखा होने की वजह से बागीचों में जल्द फ्लावरिंग हो सकती है. निचले और ऊपरी इलाकों में पत्तियां पौधों में निकल आई हैं.
अर्ली वैरायटी के सेब में हुई फ्लावरिंग. अर्ली वैरायटी के सेब में हुई फ्लावरिंग-हिमाचल में अर्ली वैरायटी के सेब में फ्लावरिंग हो गई है. अन्ना किस्म के सेब के पौधों में फूल आ गए हैं. कोटखाई के कोलवी में एक बागवान के अन्ना किस्म की सेब में पूरे फूल आ गए हैं. यह बागीचा करीब 6 हजार फीट की उंचाई पर है. इस वैरायटी को 400 चिलिंग आवर्स की जरूरत रहती है. बागवान सुमन भिखटा कहते हैं कि उन्होंने कुछ पौधे अन्ना वैरायटी के लगाए हैं जो कि अर्ली वैरायटी है. इस पर मौसम का ज्यादा असर नहीं है क्योंकि इसमें इसी समय फूल आते हैं.
अधिक तापमान फसल को कर सकता है प्रभावित-हिमाचल में तापमान सामान्य से ज्यादा चल रहा है. शिमला में ही दिन का तापमान 23 डिग्री से पार गया है. अन्य इलाकों में भी यही स्थिति है. अगर मौसम ऐसा ही रहा तो निचले और मध्यम इलाकों में सेब के बागीचों में मार्च के आरंभ में ही फ्लावरिंग हो सकती है. ऐसी स्थिति में एक साथ फ्लावरिंग नहीं आती. कुछ पौधों में पहले और कुछ में बाद में आती है. ऐसे में पॉलिनेशन वाले पेड़ों में दूसरे पेड़ों की तुलना में या तो जल्दी या बाद में फ्लारिंग होती है, जिससे फलों की सेटिंग प्रभावित हो सकती है.
फरवरी माह में सामान्य से ज्यादा तापमान का सीधा असर सेब की फसल पर. चिलिंग आवर्स भी कई जगह नहीं हो पाएंगे पूरे-निचले और मध्यम इलाकों में आमतौर पर इन इलाकों में सेब के चिलिंग आवर्स दिसंबर से लेकर फरवरी तक ही होते हैं, जिसमें तापमान शून्य से लेकर 7 डिग्री तक रहता है. सेब की अधिकतर किस्मों के लिए 1200 से लेकर 1400 चिलिंग आवर्स की जरूरत रहती है, लेकिन इस बार दिसंबर में तापमान अधिक रहा है और जनवरी में भी अधिकतर इलाकों में तापमान अपेक्षाकृत ज्यादा देखने को मिला.
अब फरवरी में तो तापमान काफी बढ़ गया है, इससे निम्न और मध्यम इलाकों में चिलिंग आवर्स पूरा नहीं हो पा रहे हैं. दरअसल चिलिंग आवर्स के तापमान में पौधे डॉर्मेंसी की स्टेज में रहते हैं, अगर जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे न हो तो इसका सेब की फ्लावरिंग पर असर पड़ता है. इससे सेब की फ्लावरिंग कम और देरी से हो सकती है. यही नहीं इसे सेब की पत्तियों का विकास भी प्रभावित होता है जिसका सीधा असर सेब की फसल पर होता है.
हिमाचल में अधिक तापमान फसल को कर सकता है प्रभावित ऐसी हालात में आसमान फ्लावरिंग होने की आसार-बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज का कहना है कि सेब के बागीचों में जल्दी फ्लावरिंग होने से फसल प्रभावित हो सकती है. ऐसी स्थिति में बागीचों में असमान फ्लावरिंग होती है. जिससे फलों की सेटिंग नहीं हो पाती. हालांकि उनका कहना है कि अगर अगले कुछ दिनों में बारिश या बर्फबारी होती है तो इससे स्थिति संभल सकती है. लेकिन अगर मौसम ऐसा ही बना रहा तो इससे सेब के बागीचों में समय से पहले ही फ्लावरिंग शुरू हो जाएगी जिसका असर फसल पर पड़ेगा.
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