शिमला: महान वैज्ञानिक, चिंतक और लोकप्रिय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम 15 साल पहले सर्दियों के दौरान देश के राष्ट्रपति के तौर पर शिमला के छोटे से गांव सरोग में आकर अभिभूत हो गए थे.अब्दुल कलाम की इच्छा थी कि वे हिमाचल का कोई ऐसा गांव देखे, जहां लोकजीवन के सभी सुर मौजूद हों. उनकी इच्छा शिमला के सरोग गांव में पूरी हुई. तब हिमाचल में भाजपा की सरकार थी. कलाम के सरोग गांव आने पर पूरे इलाके में उत्सव का सा माहौल हो गया था.
कलाम जिस समय गांव में पहुंचे, उस समय शाम घिर चुकी थी. कलाम को हिमाचल की लोक संस्कृति से रू-ब-रू करवाने के लिए ठोडा खेला गया. चोल्टू नृत्य पेश किया गया. उसके बाद हिमाचल के युवा लोकगायक किशन वर्मा ने गीत पेश किया.
किशन वर्मा ने अपनी मधुर आवाज में मेरी साएबुए चूटे लातो दे न कांडे, पांडे नीं आइंदू, गाया. उन्होंने ढीली नाटी (लोकगीतों का एक प्रकार) भी प्रस्तुत की थी. कलाम के साथ मिनिस्टर इन वेटिंग के तौर पर मौजूद पूर्व बागवानी मंत्री और वर्तमान सरकार ये चीफ व्हिप नरेंद्र बरागटा ने उन्हें लोकगीतों का मतलब समझाया. बाद में राष्ट्रपति कलाम ने किशन वर्मा की गायकी की तारीफ भी की थी. उन्होंने चोल्टू नृत्य व ठोडा खेल की प्रस्तुति को भी जमकर सराहा था.
कड़ाके की सर्दी के बावजूद एपीजे अब्दुल लंबे समय तक रात घिरने तक वहां मौजूद रहे थे. सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थल पर अलाव भी जलाया गया था. कलाम के स्वागत के लिए उमड़ी ग्रामीण लोगों की भीड़ उसी समय छंटी, जब वे वापस शिमला लौटे. कलाम के उस दौरे के बाद सरोग गांव पूरे देश में मशहूर हो गया था.