शिमला:हिमाचल विधानसभा चुनाव और गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम चाहे जो भी हो लेकिन इन दोनों चुनाव के परिणाम का प्रभाव आम आदमी पार्टी पर पड़ना तय माना जा रहा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इन राज्यों के चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी निर्वाचन आयोग की ओर से राष्ट्रीय पार्टी होने की पात्रता पूरा करने में सक्षम हो सकती है. हालांकि आप पार्टी की क्या स्थिति बनती है और क्या वह इस साल ही नेशनल पार्टी के लिए दावा करती है या नहीं इसके लिए 8 दिसंबर का इंतजार करना होगा. (himachal elections 2022) (aap aims to become national party) (Gujarat elections 2022 )
देश में राष्ट्रीय पार्टियों की संख्या: चुनाव आयोग ने किसी भी पार्टी को राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए कुछ मापदंड तय किए हैं. भारत में राष्ट्रीय पार्टियों की संख्या 8 है. जबकि, राज्य स्तरीय पार्टियों की संख्या 35 और क्षेत्रीय दलों की संख्या 329 है. चुनाव आयोग के अनुसार अभी तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और नेशनल पीपुल्स पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. (himachal assembly election 2022)
राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए चुनाव आयोग की शर्त: विशेषज्ञों के अनुसार राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए चुनाव आयोग ने जो शर्ते रखी है वह इस प्रकार से है- कोई दल तीन अलग- अलग राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 2 फीसदी सीटें जीतती है. यानी कम से कम 11 सीटें जीतना जरूरी होता है लेकिन यह 11 सीटें किसी एक राज्य से न होकर तीन अलग- अलग राज्यों से होनी चाहिए. कोई भी दल जिसे चार राज्यों में प्रादेशिक (क्षेत्रीय दल) का दर्जा प्राप्त है उस दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल होता है. कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6 फीसदी वोट हासिल करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है.
हिमाचल और गुजरात पर आप की नजर:वरिष्ठ पत्रकार उदय पठानिया के मुताबिक आम आदमी पार्टी हिमाचल में जड़ें जमाने के लिए आई थी. क्योंकि पड़ोसी राज्य पंजाब के साथ-साथ दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है. दोनों राज्यों में हिमाचल के कई लोग रहते हैं, लेकिन हिमाचल छोटा राज्य है जहां सिर्फ 68 सीटें हैं. यहां तीसरी पार्टी के लिए कभी जगह नहीं बन पाई है. कई दलों के हाथ इस कोशिश में मायूसी ही लगी है.