शिमला: हिमाचल को नए राज्यपाल मिल गए हैं. कलराज मिश्र के नियुक्ति के आदेश राष्ट्रपति कार्यालय से जारी हो चुके हैं. आचार्य देवव्रत अब गुजरात के राज्यपाल होंगे. हिमाचल में रहते हुए उन्होंने अपने सादे जीवन और प्रभावशाली व्यक्तित्व से अमिट छाप छोड़ी है.
आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल में जिस तरह से काम किया है उसे गुजरात में भी जारी किया जाएगा. विशेष रूप से उन्होंने जीरो बजट प्राकृतिक खेती को अधिक बल देने की बात कही. उन्होंने गुजरात का राज्यपाल बनाने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया.
आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल के लोगों से उन्हें बहुत लगाव हैं और यहां के लोग भोले-भाले और सजन्न हैं. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को लेकर हिमाचल में बहुत कुछ कर लिया गया है. करीब 10 हजार किसानों से इसे अपनाया है. उन्होंने कहा कि वे समय-समय पर हिमाचल में आते रहेंगे और प्राकृतिक खेती की फीडबैक लेते रहेंगे.
हिमाचल में आचार्य देवव्रत का 4 साल का कार्यकाल
भारत देश में राजभवन शब्द का जिक्र आते ही महाराजाओं जैसे ठाठ-बाठ आंखों के सामने तैरने शुरू हो जाते हैं, लेकिन हिमाचल के राजभवन ने बचत का अनुशासन जीवन में उतारने का संदेश दिया है. सादगी पसंद हिमाचल के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कार्यभार संभालते ही राजभवन में भी सादा जीवन और उच्च विचार का आदर्श प्रस्तुत किया.
पूरे राजभवन में एक भी लाइट फालतू में जलती नहीं दिखी. राजभवन में इससे पहले 15 नवंबर से ही सेंट्रल हीटिंग सिस्टम ऑन हो जाता था, लेकिन आचार्य देवव्रत ने इस परंपरा को बंद करवाया. उनका मानना है कि जब प्रदेश का आम नागरिक बिना सेंट्रल हीटिंग के तामझाम के रह सकता है तो वे और उनका स्टॉफ क्यों नहीं?
यही नहीं, राजभवन में किसी भी बाथरूम में गीजर का प्रयोग नहीं होता. खुद राज्यपाल आधा बाल्टी पानी से नहाते थे. परिणाम यह निकला कि वर्ष 2016 में इन नन्हें-नन्हें प्रयासों से राजभवन ने पूरे तीन लाख रुपये की बिजली बचाई. आचार्य देवव्रत ने कार्यभार संभालते ही सबसे पहले राजभवन में बरसों से चले आ रहे बार को हटवाया और राजभवन में यज्ञशाला स्थापित की.
राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने इसके बाद वर्ष 2017 में इससे भी अधिक बिजली बचाने का निर्णय लिया. दिन में सूर्य के प्रकाश का उपयोग करने के लिए उन्होंने कई जगह से राजभवन के रूफ टॉप को खोलने की व्यवस्था करवाई, ताकि सूरज की रोशनी भीतर आ सके. इसके साथ ही वे राजभवन के शाही जीवन का उपभोग करने की बजाय हिमाचल की जनता के जीवन में गुणात्मक सुधार लाने और हिमाचल को नंबर वन राज्य बनाने के लिए प्रयासरत्त रहे.