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Himachal Statehood Day: 28 रियासतों के राजाओं ने छोड़ा था शासन, जानें हिमाचल के नामकरण की कहानी - himachal name was decided in solan

Himachal Statehood Day 2023: आज देवभूमि हिमाचल प्रदेश अपने पूर्ण राज्यत्व दिवस का शगुन वर्ष मना रही है. ऐसे में हम आज हिमाचल प्रदेश के बारे में ज्यादा विस्तार से जानेंगे कि कैसे हिमाचल का नाम पड़ा और किसने ये नाम दिया. बता दें कि हिमाचल प्रदेश का नामकरण सोलन शहर के दरबारी हॉल में हुआ था. सोलन शहर के दरबारी हॉल में 28 रियासतों के राजाओं ने एक साथ अपना शासन छोड़ और एक स्वर में इस खूबसूरत प्रांत का नाम हिमाचल रखने की बात कही थी. इस बैठक में हिमाचल निर्माता कहे जाने वाले डॉ. यशवंत सिंह परमार भी मौजूद थे.

Himachal Statehood Day 2023
हिमाचल के नामकरण की कहानी

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Published : Jan 25, 2023, 4:01 AM IST

Updated : Jan 25, 2023, 6:02 AM IST

शिमला: मैं हिमाचल प्रदेश हूं. वही जिसे आप देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा की बहादुरी के कारण जानते हैं. मैं वही हिमाचल हूं जिसे आप हरी-भरी वादियों और बर्फ से ढके पहाड़ों, सेब, नाशपाती, पन बिजली या कुछ धरोहरों के लिए जानते हैं. मुझे गर्व है कि मुझे आप अब अटल रोहतांग सुरंग के कारण भी जानते हैं. लेकिन मेरा नाम हिमाचल कैसे पड़ा और कहां ये नामकरण हुआ क्या आप ये जानते हैं? नहीं जानते तो आगे पढ़ें विस्तार से...

देवभूमि के नाम से विश्वभर में प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश उत्तर में जम्मू कश्मीर, पश्चिम में पंजाब, दक्षिण में उत्तर प्रदेश और पूर्व में उत्तराखंड से घिरा है. 55 हजार 673 वर्ग किलोमीटर में फैला हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना है. विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक हिमाचल में ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं, गहरी घाटियां, सुंदर झरने और हरियाली देखते ही बनती है.

हिमाचल प्रदेश का इतिहास: ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत का हिस्सा रहे हिमाचल प्रदेश को 26 जनवरी 1950 को हिमाचल को पार्ट-सी स्टेट का दर्जा मिला. इसके बाद 1 नवंबर, 1956 को हिमाचल को केंद्र शासित राज्य बनाया गया और फिर एक लंबे इंतजार के बाद 25 जनवरी 1971 के दिन हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बर्फ के फाहों के बीच शिमला के रिज मैदान में जनसभा से 18वें राज्य के तौर पर हिमाचल प्रदेश की घोषणा की.

हिमाचल के तीन मुख्यमंत्री एक साथ (बीच में प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार हैं और एक तरफ ठाकुर राम लाल और एक तरफ पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह हैं. (फाइल फोटो).

हिमाचल प्रदेश का नामकरण:यह तो वह इतिहास है, जिसे देश-प्रदेश के लगभग सभी लोग जानते हैं. लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश का नामकरण सोलन शहर के दरबारी हॉल में हुआ था. सोलन शहर के दरबारी हॉल में 28 रियासतों के राजाओं ने एक साथ अपना शासन छोड़ और एक स्वर में इस खूबसूरत प्रांत का नाम हिमाचल रखने की बात कही. राजशाही शैली में बना यह भवन बघाट रियासत के 77वें राजा दुर्गा सिंह का दरबार था, जहां बघाट रियासत के राजा जनता की समस्याओं को सुना करते थे.

पीटरहॉफ होटल, शिमला (फाइल फोटो).

हिमालयन एस्टेट नाम रखना चाहते थे डॉ. परमार: साल 1948 में 28 जनवरी के दिन दरबारी हॉल में 28 रियासतों के राजाओं के साथ बैठक का आयोजन हुआ. इस बैठक में हिमाचल प्रदेश के 28 रियासतों के राजाओं ने अपनी सत्ता छोड़ने का ऐलान किया. उस समय इस बैठक में हिमाचल निर्माता कहे जाने वाले डॉ. यशवंत सिंह परमार (Dr. Yashwant Singh Parmar) भी मौजूद थे. डॉ. परमार चाहते थे कि उत्तराखंड राज्य का जौनसर-बाबर क्षेत्र भी हिमाचल में शामिल हो. वे चाहते थे कि इस प्रांत का नाम हिमालयन एस्टेट रखा जाए, लेकिन 28 रियासत के राजाओं ने एक स्वर में प्रांत का नाम हिमाचल प्रदेश रखने की आवाज बुलंद की.

ये शिमला के रिज मैदान का फोटो है. (फाइल फोटो).

वल्लभभाई पटेल ने प्रस्ताव पर लगाई मुहर: राजाओं की मांग पर प्रदेश का नाम हिमाचल प्रदेश रखने पर सहमति बनी और इसके लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया. इस प्रस्ताव मंजूरी के लिए तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को भेजा गया, जिन्होंने प्रस्ताव पर मुहर लगाकर हिमाचल का नाम घोषित किया. इसके बाद से ही हिमाचल प्रदेश को स्थाई नाम मिला.

शिमला में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और भारत में अंतिम वायसराय रहे लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना ( फाइल फोटो शिमला का)

दरबारी हॉल में आज भी मौजूद हैं, उस समय की तीन कुर्सियां: वहीं, दरबारी हॉल में उस समय की तीन कुर्सियां आज भी मौजूद हैं. इसके अलावा दरबारी द्वार पर की गई बेहद सुंदर नकाशी को देखा जा सकता है.

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Last Updated : Jan 25, 2023, 6:02 AM IST

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