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वन अधिकारों को वापस लेने के लिए अड़े ग्रामीण, कहा: पांच साल पहले हुई गलती में हो सुधार

मंडी जिला में वन विभाग की एफआरसी के सदस्यों की गलती के कारण ग्रामीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. 2014 में हुई गलती से ग्रामीणों के वन अधिकार समाप्त हो गए हैं.

डीसी को ज्ञापन सौंपते ग्रामीण

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Published : Sep 20, 2019, 7:53 PM IST

Updated : Sep 20, 2019, 11:53 PM IST

मंडी: जिला मंडी में वन अधिकारों को वापिस हासिल करने के लिए शुक्रवार को 25 पंचायतों के करीब 200 एफआरसी सदस्यों ने डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर से मुलाकात करके ज्ञापन सौंपा है.

ग्रामीणों ने बताया कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत वनों के अधिकार मिले थे, लेकिन साल 2014 में वन विभाग की एफआरसी के सदस्यों ने गलती से क, ख और ग फॉर्म भरवाए थे. बता दें कि इन फॉर्म भरने का मतलब था कि लोगों ने वनों से मिलने वाले उनके अधिकारों को स्वेच्छा से त्याग दिया है, जबकि इस फॉर्म के बारे में उस वक्त लोगों को कुछ और बताया गया था.

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स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग वन संपदा पर ही निर्भर हैं, लेकिन ग्रामीणों को इन अधिकारों से वंचित कर दिया गया. जिस वजह से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने प्रशासन व सरकार से 2014 में हुई गलती को जल्द सुधारकर सभी अधिकारों को दोबारा लागू करने की मांग की है.

वन अधिकार मंच के प्रदेश संयोजक अक्षय जसरोटिया ने बताया कि प्रशासन को समय रहते इस भूल को सुधारने की जरूरत है. वनों से मिलने वाले अधिकारों के बिना ग्रामीण परिवेश की कल्पना नहीं की जा सकती. अक्षय जसरोटिया के अनुसार डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने ग्रामीणों की तरफ से पेश किए गए अपने अधिकारों के दावों पर जल्द कार्रवाई करने का भरोसा दिया है.

Last Updated : Sep 20, 2019, 11:53 PM IST

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