मंडी: हिमाचल की राजनीति में अपनी पहचान रखने वाले दो राजनीतिक परिवार एक बार फिर आमने-सामने हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कौल सिंह व कांग्रेस के दिग्गज नेता पंडित सुखराम का परिवार फिर से हिमाचल की राजनीति में सुर्खियों में है.
ताजा राजनैतिक घटनाक्रम में कौल सिंह ठाकुर व आश्रय शर्मा आमने-सामने हैं. कौल सिंह समर्थकों ने इन दिनों कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर के खिलाफ मोर्चा खोला है. इस बीच कौल सिंह को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनाने को लेकर एक चिट्ठी भी वायरल हुई है.
इसी घटनाक्रम के बीच आश्रय भी अब सक्रिय हो गए हैं और उनके जन्मदिन के मौके पर लंच के बहाने इकट्ठा होकर अनुशासनहीनता पर कार्रवाई के लिए आवाज बुलंदकर राजनीति में उफान ला दिया है. इन दो परिवारों में राजनितिक तौर पर जो दुश्मनी है वह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है.
1993 में नहीं दिया था सुखराम का साथ
कौल सिंह ठाकुर पर ये आरोप लगता आ रहा है कि इन्होंने पंडित सुखराम का साथ न देकर उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से रोक दिया था. वैसे यह बात 1993 की है जब मंडी जिला से कांग्रेस ने 9 सीटें जीती थी और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी.
उस वक्त सुखराम का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय था, लेकिन कहा यह भी जाता है कि सुखराम ने जिला के तीन नेताओं को एक ही विभाग का लालच देकर अपनी तरफ करने की कोशिश की थी जिसके कारण ही उन्हें इनके विरोध को झेलना पड़ा और सीएम बनते-बनते रह गए थे. उसके बाद से ही सुखराम और कौल सिंह ठाकुर के बीच 36 का आंकड़ा हो गया और यह एक दूसरे के राजनैतिक दुश्मन बन बैठे.
आश्रय निभा रहे पुरानी रंजिश को
सुखराम तो सक्रिय राजनीति से दूर हो गए हैं, लेकिन कौल सिंह ठाकुर अभी भी सक्रिय राजनीति में बरकरार हैं, लेकिन कौल सिंह ठाकुर को टक्कर देने के लिए अब सुखराम का पोता आश्रय शर्मा पूरी तरह से फ्रंट फुट पर आकर खड़ा हो गया.