करसोग: शिवरात्रि में बेलपत्र का बहुत अधिक महत्व है. शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से महादेव जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. करसोग में बेल पत्र के बहुत कम पेड़ हैं. ऐसे में शिवरात्रि के लिए लोग बसों और छोटी गाड़ियों में 50 से 60 किलोमीटर का सफर तय करके तत्तापानी के ठोगी के पास जंगलों में बेलपत्र लेने के लिए पहुंच रहे हैं.
गुरुवार को बड़ी संख्या में लोगों ने ठोगी के जंगल में शिव को प्रिय बेलपत्र तोड़े. मान्यता है कि देवों के देव महादेव की विशेष कृपा पाने के लिए बेलपत्र से शिव का पूजन किया जाता है. ऐसा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यही नहीं ऐसा करने से विपत्ति भी दूर होती है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो भगवान शिव के पूजन में बेलपत्र का विशेष महत्व है.
बेलपत्र का महत्व:
कहा जाता है कि शिव की उपासना बिना बेलपत्र के पूरी नहीं होती. बेल के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं. बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती है, लेकिन इन्हें एक ही पत्ती माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार गलत तरीके से अर्पित किए हुए बेलपत्र शिव को अप्रसन्न भी कर सकते हैं.
बेलपत्र अर्पित करते हुए बरतें ये सावधानियां:
- एक बेलपत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए.
- पत्तियां कटी या टूटी हुई न हों और उनमें कोई छेद भी नहीं होना चाहिए.
- भगवान शिव को बेलपत्र चिकनी ओर से ही अर्पित करें.
- एक ही बेलपत्र को जल से धोकर बार-बार भी चढ़ा सकते हैं.
- शिव को बेलपत्र अर्पित करते समय साथ ही में जल की धारा जरूर चढ़ाएं.
- बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए.
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