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सेब की फसल में 'स्कैब' ने उड़ाई बागवानों की नींद, चिंतित बागवानी विभाग ने फील्ड से मांगी रिपोर्ट

प्रदेश के कई जगहों में सेब की फसल स्कैब की चपेट में आ गया है. हिमाचल की आर्थिकी की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले सेब के बीमारी की चपेट में आने से बागवानी विभाग चिंता में है और फील्ड से रिपोर्ट मंगवाई गई है.

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Published : Jun 24, 2019, 3:04 PM IST

मंडी/करसोग: प्रदेश के शिमला और मंडी जिला के कुछ क्षेत्रों में सेब की फसल स्कैब की चपेट में आ गई है. इस बारे में इन दोनों ही जिलों से बागवानों ने स्कैब की शिकायत की है, जिससे चिंतित विभाग ने फील्ड से रिपोर्ट मांगी है.


बता दें कि स्कैब की अधिकतर शिकायतें उन क्षेत्रो से प्राप्त हुई है, जहां जमीन में अधिक नमी है. इसमें मंडी जिला के सिराज, जंजैहली, चियूनी और थुनाग से बागवानों ने सेब की फसल में स्कैब की शिकायत की है. वहीं शिमला जिला में विभाग को रामपुर से स्कैब के फैलने की सूचना आई है. जिस पर बागवानी निदेशालय ने इन दोनों ही जिलों के उप निदेशकों से फील्ड रिपोर्ट मांगी है.


यही नहीं स्कैब की सूचना मिलते ही मंडी जिला में सभी सेब उत्पादन करने वाले ब्लॉक की सेब में छिड़काव के लिए स्प्रे शेड्यूल के हिसाब से फफूंदनाशक दवा का पर्याप्त कोटा भेज दिया है, ताकि सेब की फसल को समय रहते ही भारी नुकसान से बचाया जा सके.


बागवानी विभाग जिला मंडी के उपनिदेशक अमर प्रकाश कपूर का कहना है कि कुछ क्षेत्रों से स्कैब की शिकायतें मिली हैं. इसको देखते हुए फील्ड में पर्याप्त मात्रा में दवाईयां भेजी गई है. अगर किसी बागवान को दवा नहीं मिलती है तो इसकी शिकायत उपनिदेशक कार्यालय में की जा सकती है.


अकेले 4200 करोड़ की आर्थिकी सेब से
हिमाचल की आर्थिकी में अकेले सेब का योगदान करीब 4200 करोड़ है. अगर इसमें अन्य फ़्रूट को भी शामिल किया जाए तो यही आंकड़ा 4600 करोड़ से ऊपर का हो जाता है. हिमाचल में इस बार सेब की बंपर फसल हुई है. ऐसे में अगर स्कैब ने फसल को अपनी चपेट में लिया तो इसका सीधा असर हजारों करोड़ की आर्थिकी पर पड़ेगा. बागवानों की सालभर की मेहनत भी बर्बाद हो जाएगी.


बागवानी विभाग के निदेशक डॉ. एमएल धीमान का कहना है कि सेब की फसल में स्कैब की सूचना मिली है. इस बारे में सभी उप निदेशकों से फील्ड रिपोर्ट मांगी गई है. उनका कहना है कि स्कैब पर नियंत्रण के लिए बागवान स्प्रे शेड्यूल के मुताबिक छिड़काव कर सकते हैं.

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