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निष्कासन के बाद बोले विधायक अनिल शर्मा- जो कार्यकर्ता चाहेंगे वहीं होगा, बीजेपी पर लगाए ये आरोप - Himachal Pradesh government

2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान अनिल शर्मा अपने पूरे परिवार के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे. पूर्व की वीरभद्र सरकार में अनिल शर्मा मंत्री थे और मौजूदा जयराम सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया था. लोकसभा चुनाव तक सबकुछ ठीक चलता रहा, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान जब आश्रय शर्मा को भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो आश्रय और उनके दादा पंडित सुखराम ने फिर से कांग्रेस का दामन थाम लिया. इसके बाद अनिल शर्मा पर चौतरफा दबाव बढ़ता गया और उन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान मंत्रीपद से भी इस्तीफा देना पड़ा.

पूर्व मंत्री एवं सदर विधायक अनिल शर्मा

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Published : Aug 14, 2019, 7:52 PM IST

मंडी: पूर्व मंत्री एवं सदर विधायक अनिल शर्मा का कहना है कि उनके कार्यकर्ता जो चाहेंगे वहीं होगा. अगर कार्यकर्ता चाहेंगे कि वह राजनीति में रहें तो रहेंगे अन्यथा साइड हो जाएंगे. भाजपा से निष्कासन के बाद अनिल शर्मा ने मंडी में मीडिया कर्मियों से बातचीत में यह शब्द कहे. अनिल शर्मा ने कहा कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अगर उनके निष्कासन की बात कह रहे हैं तो पार्टी ने यह निर्णय लिया होगा, लेकिन उन्हें अभी तक पार्टी की तरफ से ऐसी कोई जानकरी नहीं मिली है. दोबारा कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पूछे गए सवाल के जबाव में अनिल शर्मा ने कहा कि उनके समर्थक और कार्यकर्ता जो भी तय करेंगे वह उसका सम्मान करेंगे. यदि कार्यकर्ता चाहेंगे कि भविष्य में वह राजनीति न करें तो वह पीछे हटने को भी तैयार रहेंगे.

अनिल शर्मा ने कहा कि वह आज जो कुछ भी हैं सदर की जनता की बदौलत हैं और ऐसे में अब वह सदर के विधायक के रूप में अपने दायित्व का निर्वहन करेंगे. अनिल शर्मा ने एक मंत्री के रूप में सरकार की तरफ से मिले सहयोग के लिए सीएम जयराम ठाकुर का आभार भी जताया. उन्होंने कहा कि सीएम जयराम ठाकुर ने मंत्री के नाते उनके क्षेत्र में विकास करवाने का जो प्रयास किया उसके लिए वह उनके आभारी रहेंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि मानसून सत्र के दौरान अब वह अलग से बैठकर अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाएंगे और उनका समाधान करवाने का प्रयास करेंगे. अनिल शर्मा के पुत्र आश्रय शर्मा ने भाजपा के इस निर्णय की निंदा की है. उन्होंने कहा कि उनके पिता ने कभी भाजपा के खिलाफ या उनके पक्ष में काम नहीं किया. भाजपा के नेता चुनाव के दौरान से ही उनके पिता का निरादर करते आ रहे थे और यही कारण है कि अब उन्हें पार्टी से निकाला गया है. आश्रय शर्मा ने कहा कि भाजपा ने ऐसा करके अपनी मंशा साफ जाहिर कर दी है कि उनकी कथनी और करनी में अंतर है.

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बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान अनिल शर्मा अपने पूरे परिवार के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे. पूर्व की वीरभद्र सरकार में अनिल शर्मा मंत्री थे और मौजूदा जयराम सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया था. लोकसभा चुनाव तक सबकुछ ठीक चलता रहा, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान जब आश्रय शर्मा को भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो आश्रय और उनके दादा पंडित सुखराम ने फिर से कांग्रेस का दामन थाम लिया. इसके बाद अनिल शर्मा पर चौतरफा दबाव बढ़ता गया और उन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि उन्हें भाजपा ने पार्टी से नहीं निकाला था, लेकिन अब मानसून सत्र से पहले इस काम को भी कर दिया है.

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