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कल्याण कानूनों को निरस्त करने का धर्मपुर में हुआ विरोध, 30 पंचायतों में हुआ प्रदर्शन

धर्मपुर में मनरेगा मजदूरों ने निर्माण व मनरेगा मजदूर फेडरेशन के आह्वान पर पंचायत व गांव स्तर पर 30 जगह प्रदर्शन किए. मजदूर फेडरेशन का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से कल्याण कानूनों व राज्य स्तर पर बने श्रमिक कल्याण बोर्डों को भंग करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे निर्माण व मनरेगा मजदूरों को मिल रही सहायता बंद हो जाएगी.

MGNREGA labourers
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Published : Jul 13, 2020, 5:31 PM IST

धर्मपुर/मंडी:धर्मपुर विकासखंड में मनरेगा मजदूरों ने निर्माण व मनरेगा मजदूर फेडरेशन के आह्वान पर पंचायत व गांव स्तर पर 30 जगह प्रदर्शन किए. पंचायतों की यूनियन कमेटियों के प्रधान व सचिवों ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया.

मजदूरों ने केंद्र सरकार की ओर से निर्माण मजदूरों के कल्याण के लिए वर्ष 1996 में बने कानून को खत्म करने और उसे दूसरे श्रम आचार संहिता में जोड़ने का जोरदार विरोध किया.

केंद्र सरकार की ओर से कल्याण कानूनों व राज्य स्तर पर बने श्रमिक कल्याण बोर्डों को भंग करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे निर्माण व मनरेगा मजदूरों को मिल रही सहायता बंद हो जाएगी.

वीडियो रिपोर्ट.

प्रदेश में हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से 2 लाख मजदूर पंजीकृत है. मंडी जिला में 40 हजार और धर्मपुर में 5 हजार मजदूर को श्रमिक कल्याण बोर्ड की ओर से मिल रही सुविधाएं बंद हो जाएगी.

इन सुविधाओं में मजदूरों को इंडक्शन हीटर, सोलर लैंप, साईकल, कंबल, टिफिन, वाटर फिल्टर, डिन्नर सेट, बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कालरशिप व विवाह के लिए सहायता राशी के अलावा मैडिकल व 60 साल के बाद पेंशन और मृत्यु पर रुपये देने का प्रावधान है.

यूनियन प्रधान धर्मपुर कशमीर सिंह ठाकुर, मोहनलाल व आदि ने बताया कि ग्रामीण स्तर पर आयोजित विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से सरकार से मांग की गई और चेतावनी दी गई कि अगर मजदूरों के कल्याण के लिए बने कानून और कल्याण बोर्डों को खत्म किया गया तो आने वाले समय में मजदूर सड़कों पर उतर कर विरोध करने के लिए मजबूर होंगे.

फोटो.

हिमाचल प्रदेश निर्माण मजदूर फेडरेशन के राज्य महासचिव भूपेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र की मोदी सरकार लगातार मजदूर विरोधी फैसले ले रही है. मनरेगा व निर्माण मजदूरों के कल्याण के लिए सयुंक्त मोर्चे की सरकार की ओर से 1996 में बने कानून को बदलने का फैसला ले लिया है, जिसका सोमवार को देशव्यापी विरोध किया गया.

भूपेंद्र सिंह ने कहा कि फेडरेशन सरकार से मनरेगा मजदूरों को साल में 200 दिनों का काम और 400 रुपये मजदूरी की मांग कर रही है. इसके साथ ही कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन के समय सभी मजदूरों को मुफ्त राशन और बैंक खातों में 5 हजार प्रति महीने की दर से सहायता प्रदान करने की सरकार और श्रमिक कल्याण बोर्ड शिमला से मांग की गई है.

उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में मार्च, अप्रैल और मई महीने की 2-2 हजार रुपये की सहायता राशि मजदबरों को मिलनी है , जो अभी तक मजदूरों को नहीं मिली है. इसे जल्दी जारी किया जाए और धर्मपुर में एक साल से वितरित नहीं हुआ राशन जल्द वितरित किया जाए.

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