मंडी:हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान आई त्रासदी से सैकड़ो परिवार पूरी तरह से बेघर हो गए हैं. इनमें से बहुत से लोगों के पास तन पर पहने कपड़ों के सिवाय और कुछ भी नहीं बचा है. कुछ ऐसी ही कहानी है सराज विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले कुकलाह गांव के प्रभावितों की. जहां 12 परिवार पूरी तरह से बेघर हो गए हैं. इनके पास शरीर पर पहने कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा है. इन लोगों का कहना है कि पहले तो कुदरत के कहर ने इनका सबकुछ छीन लिया, जिसका गम भुलाये नहीं भूल रहा है. वहीं, जब सरकार से मुआवजा लेने की बात आई तो इनके साथ प्रशासन द्वारा भद्दा मजाक किया जा रहा है.
दरअसल, प्रभावितों का आरोप है कि पहले तो प्रशासन ने फौरी राहत के तौर पर इन्हें मात्र पांच- पांच हजार की राशि थमा दी. वहींं, जब सरकार के एलान के अनुसार एक-एक लाख रुपया मुआवजा लेने की बारी आई तो प्रशासन ने इतनी औपचारिकताएं बता दी कि जो 5 हजार मिले हैं वह भी खर्च हो गए. गांव के प्रभावित धर्म चंद और भागीरथ ने बताया कि आपदा के एक सप्ताह बाद जब मीडिया में खबर लगी तब जाकर इन्हें पांच हजार की राशि मिली थी और अब एक महीना बीत जाने के बाद भी सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई राहत नहीं मिल पाई है. इनसे ऐसे-ऐसे कागजात मांगे जा रहे हैं जोकि घर के साथ ही दब गए हैं, अब उन्हें कहां से लेकर आएं. इन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इन्हें जल्द से जल्द उचित मुआवजा अदा किया जाए.
बता दें कि बीते 23 अगस्त को आई आपदा में कुकलाह गांव में 12 घर पूरी तरह से जमींदोज हो गए थे. इनके पास अब रहने के लिए कोई स्थान नहीं बचा है. प्रभावित गीता देवी और फते राम ने बताया कि उन्हें प्रशासन की तरफ से जो तिरपाल दिए गए हैं, उनके तंबू बनाकर वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं. स्थानीय लोग कुछ मदद कर रहे हैं और कुछ अस्थायी ठिकाने भी बनाए हैं, लेकिन सरकार जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध करवाकर घर बनाकर दे.