मंडी: पहाड़ों पर इस बार मानो ठंड जाने का नाम ही नहीं ले रही. लगातार बदलते मौसम के कारण मई और जून महीने में भी कई इलाकों में लोग ऊनी कपड़े पहन रहे हैं. मौसम के इस बदले मिजाज से मौसम ठंडा हुआ, तो सबसे ज्यादा असर ठंडे के कारोबार पर पड़ा है. मई, जून के महीनों में देशभर में गर्मी होती है और इस गर्मी से राहत पाने के लिए जूस, आइसक्रीम, कुल्फी, कोल्ड ड्रिंक की बिक्री बढ़ जाती है. लेकिन हिमाचल में मौसम की मार इस कारोबार पर पड़ी है. कुछ दिन धूप और फिर बारिश के कारण बदले मौसम ने आइस्क्रीम और ठंडा बेचने वालों का धंधा मंदा कर दिया है.
ठंडा पड़ा ठंडे का कारोबार: इस बार हिमाचल प्रदेश में बारिश का सिलसिला कुछ यूं शुरू हुआ की थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. जिससे सर्दी के कारोबारियों को तो फायदा पहुंच रहा है, लेकिन गर्मी के मौसम में अपनी आजीविका कमाने वाले कारोबारियों को खासा नुकसान पहुंचा है. बात करें रेहड़ी-फहड़ी वालों की तो इस मौसम की सबसे ज्यादा मार इन्हीं पर पड़ी है, क्योंकि मौसम ठंडा होने के कारण लोग ठंडी चीजों से परहेज कर रहे हैं तो रेहड़ी-फहड़ी वालों को अपनी आजीविका कमाना तक मुश्किल हो गया है.
जून में जूस, कुल्फी, आईसक्रीम से तौबा: रेहड़ी-फहड़ी लगाकर आजीविका कमाने वाले गुरदेव, हेमराज और राजेश कुमार ने बताया कि इस सीजन में वह दिहाड़ी भी मुश्किल से बना पा रहे हैं. लागत या फिर नाम मात्र का मुनाफा मौसम पर निर्भर कर रहा है. जिस दिन मौसम साफ है और धूप खिली है तो कुछ बिक्री हो रही है. बारिश के दिन तो दुकान बंद रखनी पड़ती है और बारिश का असर अगले कुछ दिन तक मौसम को बदल देता है जिसका सीधा असर कारोबार पर पड़ रहा है. आलम ये है कि जून के महीने में भी लोग कुल्फी, आइसक्रीम, जूस से तौबा कर रहे हैं.
'पिछले साल के मुकाबले कारोबार में 50% की कमी': हर साल अप्रैल, मई और जून के महीनों में लोग तपती गर्मी से परेशान होकर, इससे निजात पाने के लिए गन्ने और फलों के जूस, कुल्फी, आईसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक्स का सहारा लेते थे. इन उत्पादों को बेचने वालों का कारोबार इससे ठीक-ठाक चल पड़ता था और गर्मियों में यह लोग अच्छी आजीविका कमा लेते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. विक्रेता मोहम्मद जाकिर ने बताया कि इस बार पिछली साल के मुकाबले 30 से 50 प्रतिशत कम कारोबार हुआ है. जिसके कारण इन लोगों को अपना घर चलाना तक मुश्किल हो गया है.