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SPECIAL: मंडी में पांच दोस्तों का कमाल, जुगाड़ से बनाया कोविड-19 सैंपल क्लेक्शन चैम्बर

मंडी जिला की बल्हघाटी के पांच दोस्तों ने जुगाड़ से सैंपल क्लेक्शन चैंबर बनाया है. सभी युवाओं ने जुगाड़ तकनीक का इस्तेमाल किया और कुछ लोगों से आर्थिक मदद लेकर 25 से 30 हजार की लागत में कोविड 19 सैंपल क्लेक्शन चैंबर बना दिया.

covid-19 sample collection chamber in mandi
मंडी में पांच दोस्तों का कमाल,

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Published : Apr 27, 2020, 8:51 PM IST

मंडी: मंडी जिला की बल्हघाटी के पांच दोस्तों ने जुगाड़ से सैंपल क्लेक्शन चैंबर बनाकर नई मिसाल पेश की है. चंडयाल गांव के यह पांच दोस्त इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

इनमें विवेक महाजन, अचल सैनी, अक्षय सैनी, चंद्रेश सैनी और गौरव सैनी मुख्य रूप से शामिल हैं. जबकि आईटीआई होल्डर रोहित शर्मा और उमेश सैनी ने भी इस कार्य में अपना योगदान दिया है. इन युवकों ने बताया कि कोविड 19 के इस दौर में जब वह घर पर थे तो उस दौरान स्वास्थ्य विभाग के लिए कुछ नया करने की सोची.

सभी युवाओं ने जुगाड़ तकनीक का इस्तेमाल किया और कुछ लोगों से आर्थिक मदद लेकर 25 से 30 हजार की लागत में कोविड 19 सैंपल क्लेक्शन चैंबर बना दिया. इनका दावा है कि यह चैंबर पूरी तरह से एयर टाइट है और इसके माध्यम से सैंपल लेने वालों को इन्फेक्शन का कोई खतरा नहीं रहेगा.

वीडियो रिपोर्ट

वहीं अब इन्होंने इस चैंबर को लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक को डोनेट करने का निर्णय लिया है. इनका कहना है कि इस बारे में कॉलेज प्रबंधन से इनकी बात हो चुकी है और उन्होंने इस चैंबर को वहां पर स्थापित करने की अनुमति दे दी है.

युवाओं ने बताया कि चैंबर को बनाने के लिए लॉकडाउन के दौरान उन्हें काफी ज्यादा परेशानी हुई क्योंकि दुकानें बंद होने के कारण सामान नहीं मिल पा रहा था. फिर भी जैसे-तैसे सामान का जुगाड़ करके और कुछ पुराने उपकरणों का इस्तेमाल करके इसका निर्माण किया है.

युवओं ने बताया कि घर में मौजूद पुराने इलेक्ट्रानिक उपकरणों की मदद से यह चैंबर बनाया गया है. जिसमें माइक से लेकर स्पीकर तक की सुविधा मौजूद है. चैंबर में जाने वाला डॉक्टर इसी के माध्यम से अपना संदेश बाहर पहुंचाएंगे.

बता दें कि यह युवा इससे पहले सेनिटाइजेशन चैंबर भी बना चुके हैं, लेकिन भारत सरकार द्वारा इस प्रकार के चैंबर और टनल पर प्रतिबंध लगाने के बाद इनका यह प्रोजेक्ट प्रमोट नहीं हो पाया. इस के बावजूद इन्होंने हार नहीं मानी और अब नया चैंबर बनाकर उसे इस्तेमाल के लिए तैयार कर दिया है. अब जो सैंपल क्लेक्शन चैंबर इन्होंने बनाया है, यह कितना कारगर साबित होगा इसका पता मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा इस्तेमाल करने के बाद ही चल पाएगा.

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