करसोग: एक ओर तो सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है, वहीं किसानों के उत्पाद बेचने के लिए खोली गई मंडियों के हाल-बेहाल है. तहसील करसोग के चुराग में किसानों और बागवानों को घरद्वार पर सुविधा के लिए खोली गई सब्जी मंडी लोगों के लिए अब आफत की मंडी बन गई है.
सालाना 10 करोड़ का कारोबार करने वाली इस मंडी के ऑक्शन यार्ड तक न तो पक्की सड़क की व्यवस्था है और न ही दूर दराज के दुर्गम क्षेत्रों से उत्पाद लेकर आने वाले किसानों के लिए कोई सुविधा है. यहां एपीएमसी को हर साल 10 लाख मार्किट फीस चुकाने वाले आढ़तियों के लिए भी कारोबार चलाने की कोई अच्छी व्यवस्था नहीं है. जिस कारण बाहरी राज्य से आने वाले लदानी यहां आने से कतरा रहे हैं. जिसका खामियाजा करसोग के हजारों किसानों को भुगतना पड़ रहा है.
टेंपरेरी शेडों में टपकता है पानी
चुराग मंडी में एपीएमसी ने 28 कारोबारियों के लिए लाइसेंस जारी किए है और यहां कारोबार चलाने के लिए इतने ही टीन के शेड बनाये गए हैं, जिसके लिए आढ़तियों से हर माह 1200 रुपये किराया प्रति शेड वसूला जा रहा है. ये किराया भी एक साल का एडवांस में एक मुश्त लिया जा रहा है. इसके बाद भी टीन के शेडों की हालत सही नहीं है.
बारिश के इन दिनों में छत से पानी टपक रहा है, जिससे शेड के अंदर रखे जाने वाले उत्पाद खराब हो जाते हैं. इस नुकसान से बचने के लिए कुछ आढ़तियों ने सड़क के साथ ही 5 हजार महीने पर अपने स्टोर ले रखे हैं. ऐसे में एपीएमसी को 1 फीसदी मार्किट फीस चुकाने के बाद भी आढ़तियों को साल के 60 हजार रुपये अलग से स्टोर पर खर्च करने पड़ रहे हैं.