हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

World Tourism Day: अगर जा रहे हैं कुल्लू-मनाली तो विभिन्न पर्यटन स्थलों का करें दीदार

हिमाचल प्रदेश में घूमने के लिए कई जगहें हैं, लेकिन टूरिस्ट कुल्लू और मनाली का नाम सुनते ही क्रेजी हो जाते हैं. हों भी क्यों ना आखिर कुल्लू और मनाली की खूबसूरती कुछ है ही ऐसी. यहां काफी पर्यटक घूमने आते हैं, लेकिन कई जगहें घूमना उनसे रह जाता है या फिर उन्हें उन जगहों का पता ही नहीं होता, तो फिर आपको टेंशन नहीं लेने का. हम हैं ना. विश्‍व पर्यटन दिवस 2023 (World Tourism Day) 27 सितंबर आज हम आपको सब बताएंगे. पढ़ें पूरी खबर... (World Tourism Day).

Kullu Manali Trip Plan
अगर जा रहे हैं कुल्लू-मनाली तो विभिन्न पर्यटन स्थलों का करें दीदार

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 27, 2023, 5:01 AM IST

Updated : Sep 27, 2023, 11:19 AM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के पर्यटन नगरी मनाली देश के लोकप्रिय हिल स्टेशनों में एक है. गर्मियों में बर्फ से ढका हुआ 13 हजार 50 फीट ऊंचा रोहतांग दर्रा मनमोहक नजारे, हरे भरे जंगल और शांत वातावरण यहां की खासियत है. पर्यटन नगरी मनाली में माल रोड भी शाम के समय सैलानियों से भरा रहता है और मनाली के साथ लगते विभिन्न पर्यटन स्थल भी सैलानियों को खूब भाते हैं. इसके अलावा मनाली में ट्रैकिंग, पैराग्लाइडिंग राफ्टिंग जैसी अनेक साहसिक गतिविधियां भी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है.

सोलंग नाला:मनाली के साथ लगते सोलंग नाला में भी हर साल लाखों सैलानी घूमने का मजा उठाते हैं. सोलंग नाला में साहसिक खेलों का आयोजन किया जाता है और सैलानी यहां पर आकर पैराग्लाइडिंग, घुड़सवारी, रोपवे, माउंटेन बाइक, स्नो स्कूटर जैसी गतिविधियों का आनंद उठा सकते हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साल 2002 के दौर में सोलंग नाला में पैराग्लाइडिंग का आनंद लिया था. सोलंग नाला मनाली से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और गाड़ी के माध्यम से सैलानी यहां पर आसानी से पहुंच सकते है.

सोलंग नाला

रोहतांग दर्रा:वहीं, पर्यटन नगरी मनाली आए तो सैलानी रोहतांग दर्रे का दीदार करना भी नहीं भूलते हैं. यह देश का एक ऐसा पर्यटन स्थल है जो जून में भी सैलानियों को बर्फ से रूबरू करवाता है. सर्दियों के दौरान बर्फबारी के चलते रोहतांग दर्रा बंद रहता है. लेकिन गर्मियों में यहां का नजारा सैलानियों का मंत्र मुग्ध कर देता है. पर्यटक मनाली के कोठी से होते हुए रोहतांग दर्रे पहुंच सकते हैं. हालांकि एनजीटी के निर्देशों के बाद यहां पर रोजाना 1200 पर्यटक वाहनों की जाने की अनुमति दी गई है, लेकिन उसके बाद भी सैलानी इस दर्रे के दीदार करने के लिए कई दिनों तक इंतजार भी करते हैं.

रोहतांग दर्रा

मणिकर्ण:जिला कुल्लू का मणिकर्ण इलाका पार्वती नदी के तट पर बसा हुआ है और यहां पर ऐतिहासिक राम मंदिर के साथ ऐतिहासिक गुरुद्वारा भी बना हुआ है. मणिकर्ण हिंदू व सिखों का पवित्र स्थल है और यहां पर गर्म पानी के कुंड में भी डुबकी लगाकर सैलानी अपने आप को धन्य महसूस करते हैं. मणिकर्ण में सिखों के धर्मगुरु गुरु नानक जी के द्वारा अनेकों चमत्कार किए गए. तो वही हिंदुओं की मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव और मां पार्वती का वास है. ऐसे में मणिकर्ण भी हर साल लाखों सैलानी पहुंचते हैं. मणिकर्ण कुल्लू से करीब 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और टैक्सी तथा बस के माध्यम से सैलानी यहां पर आसानी से पहुंच सकते हैं.

मणिकर्ण

मनाली में माता हिडिंबा का मंदिर:पर्यटन नगरी मनाली में माता हिडिंबा का एक विशेष स्थान है और यहां पर मनाली माल रोड से 3 किलोमीटर की दूरी पर माता हडिंबा का प्राचीन मंदिर भी बना हुआ है. माता हडिंबा का यह मंदिर पांडु पुत्र भीम की पत्नी हिडिम्बा को समर्पित है. यह मंदिर बाकी मंदिरों की तुलना में एकदम अलग है और इसका प्रवेश द्वार भी लकड़ी से बना हुआ है. इस मंदिर की छत एक छतरी के आकार की है.

मनाली में माता हिडिंबा का मंदिर

मनु ऋषि का मंदिर:वहीं, मनाली गांव में मनु ऋषि का मंदिर भी मनु ऋषि से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि पृथ्वी पर जब प्रलय आई तो मनु महाराज की नाव मनाली में आकर रुकी थी. इसके साथ ही वशिष्ठ गांव में ऋषि वशिष्ठ का ऐतिहासिक मंदिर है. ऋषि वशिष्ठ ने इस गांव में तपस्या की थी और मनाली के साथ लगता यह प्राचीन मंदिर भी धार्मिक आस्था का केंद्र है. यह मंदिर शांतिप्रिय यात्रियों के लिए एकदम उचित माने जाते हैं. क्योंकि इन मंदिरों के चारों तरफ शांति का माहौल है और देवदार के लंबे-लंबे पेड़ों का जाल इस नजारे को खूबसूरत बनाता है. ऐसे में टैक्सी के माध्यम से भी सैलानी इन मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं.

मनु ऋषि का मंदिर

अटल टनल रोहतांग:पर्यटन नगरी मनाली आने वाले सैलानी रोहतांग दर्रा के नीचे पीर पंजाल की पहाड़ियों को भेद कर बनाई गई है. मनाली आने वाले सैलानी अटल टनल रोहतांग के दीदार का मौका भी नहीं चूकते हैं. यह टनल भारतीय इंजीनियरिंग का नमूना है. 9 किलोमीटर लंबी इस टनल को पार करने में 10 मिनट का समय लगता है और पर्यटक यहां पर रुककर इसके निर्माण की विधि से भी अवगत हो सकते हैं. अटल टनल से 10 मिनट में कुल्लू की वादियों से पर्यटक लाहौल की खूबसूरत वादियों में पहुंच जाते हैं. मनाली से अटल टनल की दूरी 18 किलोमीटर है और टैक्सी व बस के माध्यम से सैलानी इस अटल टनल का भी दीदार कर सकते हैं.

अटल टनल रोहतांग

नग्गर कस्बा:जिला कुल्लू की राजधानी रही नग्गर भी सैलानियों की पहली पसंद है. जिला कुल्लू आने वाले सैलानी नग्गर में जगती पट्ट व नग्गर कैसल के दीदार के लिए भी यहां का रुख करते हैं. धार्मिक पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ नग्गर रूस के चित्रकार निकोलस रोरिक से भी जुड़ा हुआ है. रोरिक आर्ट गैलरी में भी सैलानी यहां पर शानदार चित्रों के दर्शन करते हैं और ऐतिहासिक नग्गर कैसल में भी फोटोग्राफी का मजा लेते हैं. यहां पर भी सैलानी प्राचीन खान-पान के साथ-साथ शानदार सेब के बगीचों का नजारा अपने कैमरे में कैद करना नहीं भूलते हैं.

नग्गर कस्बा

ब्यास कुंड:पर्यटन नगरी मनाली के साथ लगती पहाड़ियों में ब्यास कुंड ट्रैकिंग रूट भी सैलानियों की पसंद रहता है. ब्यास कुंड ब्यास नदी का मूल स्रोत है और माना जाता है कि हनुमान टिब्बा में 3650 मीटर की ऊंचाई पर इस झील के प्राचीन जल में ऋषि ब्यास अपना दैनिक स्नान किया करते थे. सोलंग घाटी से होकर ब्यास कुंड तक का रास्ता शानदार है और हिमाचल के हिमालय क्षेत्र में सबसे आसान ट्रैक में ब्यास कुंड ट्रैक को माना जाता है. ब्यास कुंड ट्रैक मनाली से शुरू होता है और सोलंग नाला के माध्यम से धुंधी की ओर जाता है. धुंधी से यह मार्ग ऊपर बकर थाच तक जाता है और मोराइन की चढ़ाई चढ़ने के बाद ब्यास कुंड तक सैलानी आसानी से पहुंच सकते हैं. ऐसे में ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए ब्यास कुंड ट्रेक भी काफी बेहतर है.

ब्यास कुंड

दशोहर झील:जिला कुल्लू में 15,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित दशोहर झील भी बेहद खूबसूरत है. हालांकि झील के समीप पर्यटन स्थल रोहतांग दर्रे तक हर पर्यटक दस्तक देता है, लेकिन इस झील पर बहुत कम पर्यटक पहुंच पाते हैं. यहां पहुंचना इसलिए आसान है, क्योंकि मनाली से रोहतांग तक गाड़ी में पहुंचा जा सकता है. मढ़ी से भी दशोहर झील के लिए पैदल ट्रैक है, लेकिन इस ट्रैक पर अधिक चलना पड़ता है. रोहतांग पहुंचकर सैलानी पैदल चलकर इस ऐतिहासिक झील तक पहुंच सकते हैं और इस झील का दीदार करने के लिए मई से अक्टूबर के बीच बेहतर समय है.

भृगु झील:पर्यटन नगरी मनाली में भृगु झील भी अपनी खूबसूरती के चलते मशहूर है. पर्यटक 15,400 फीट ऊंची भृगु झील घूमने और इसके आसपास ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं. भृगु झील मनाली का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जिसका नाम ऋषि भृगु के नाम पर पड़ा है. कहा जाता है कि वह झील के पास ध्यान लगाते थे. भृगु झील रोहतांग दर्रे के पूर्व में स्थित है. यहां पहुंचने के लिए गुलाबा तक वाहन में आ सकते हैं. जबकि गुलाबा से पैदल झील तक पहुंचा जा सकता है. दूसरा ट्रैक कुलंग गांव से है. लेकिन इस ट्रैक में खड़ी चढ़ाई पर करनी पड़ती है. इस झील का दीदार भी मई से अक्टूबर माह के बीच हो सकता है.

भृगु झील

पांडु रोपा:मनाली के साथ लगता ऐतिहासिक पांडु रोपा भी घूमने के लिए सबसे अच्छा पर्यटन स्थल है. 11500 फीट ऊंचे पांडू रोपा के लिए पैदल यात्रा वशिष्ठ गांव से शुरू होती है. हरे भरे सेब के बगीचों से होते हुए गांव के ऊपर घने देवदार के जंगल में चढ़ाई के साथ सफर शुरू होता है. गर्मियों के महीने में यहां पर भेड़ बकरियों के कई झुंड मिलते हैं. वही कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां समय व्यतीत किया था और पांडु रोपा में वह धान की खेती करते थे. जून और जुलाई के महीना में यहां का मैदान हिमालय वनस्पतियों से भर जाता है. यह ट्रैक 7 घंटे का है और मई से नवंबर माह तक इसके दीदार सैलानी कर सकते हैं.

पांडु रोपा ट्रेक.

लामा डुग:मनाली में 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित लामा डुग घूमने के लिए बहुत ही बेहतर पर्यटन स्थल है. हालांकि यह पर्यटन स्थल भी अनछुए पर्यटन स्थलों में आता है. लेकिन अब यह ट्रैकर की पहली पसंद बने लगा है. हडिंबा माता के दर्शन करने के बाद इस ट्रैक का सफर शुरू होता है. मनाली के खूबसूरत दृश्य मनालसु ग्लेशियर, धौलाधार और पीर पंजाल पर्वत माला जिसमें हनुमान टिब्बा, देव टिब्बा और रोहतांग पास शामिल है. सभी के लामा डुग से दीदार किए जाते हैं.

लामा डुग ट्रेक.

अर्जुन गुफा:मनाली के साथ लगते शुरू गांव के ऊपर स्थित अर्जुन गुफा बहुत ही सुंदर पर्यटन स्थल है. हालांकि बड़ा पत्थर गिरने के बाद इस गुफा के द्वारा बंद हो गए हैं. लेकिन आज भी यह गुफा पांडवों के यहां रहने का प्रमाण दे रही है. कहा जाता है कि महाभारत में पांडव अज्ञातवास के लिए इन पहाड़ियों में रहे. इस गुफा तक पहुंचाने के लिए मनाली से शुरू तक 6 किलोमीटर गाड़ी में जबकि शुरू से माता श्रावणी के दर्शन कर दो घंटे की चढ़ाई के बाद अर्जुन गुफा तक पहुंच सकते हैं. कहते हैं कि अर्जुन ने इस गुफा में रहकर तपस्या की थी. वहीं इस गुफा के दीदार कर शाम को सैलानी वापस मनाली लौट सकते हैं.

अर्जुन गुफा

जाना वाटरफॉल:वहीं, सैलानियों के लिए जाना वॉटरफॉल भी घूमने के लिए बेहतर पर्यटन स्थल है. गाड़ी में नग्गर से 2 घंटे के सफर के बाद सैलानी जाना पहुंच सकते हैं. जाना में खूबसूरत गांव के दीदार करने के बाद पर्यटक वॉटरफॉल पहुंचते हैं जहां पर झरने के पास कई ढाबे भी है. इन ढाबों में राजमा और लाल चावल मिलते हैं. जिनका स्वाद हर किसी को अपनी और आकर्षित करता है. जाना वॉटरफॉल से हल्की चढ़ाई पैदल चलने के बाद आप बर्फीले पहाड़ों, देवदार के हरे भरे जंगलों का नजारा ले सकते हैं. दिनभर इन वादियों का मजा लेने के बाद सैलानी शाम को वापस मनाली लौट सकते हैं.

जाना वाटरफॉल

ये भी पढे़ं-Himachal Tourism: मनाली के पर्यटन स्थलों पर दिखने लगी सैलानियों की चहल कदमी, लाहौल के सूरज ताल और दीपक ताल भी पहुंच रहे टूरिस्ट

Last Updated : Sep 27, 2023, 11:19 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details