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पर्यावरण संरक्षण का संदेश देकर केरल से 2800 KM की पदयात्रा कर कुल्लू वापस लौटे वीरेंद्र

कुल्लू की उझी घाटी के फोजल धारा गांव के वीरेंद्र समाज को पर्यावरण सरंक्षण का संदेश देने की पदयात्रा करके आखिर 43 दिनों के बाद वापिस कुल्लू पहुंच गया है. इस पद यात्रा का मकसद अधिक से अधिक पैदल चलने और गाड़ियों का कम से कम प्रयोग करने की ओर लोगों को प्रेरित करना है. वीरेंद्र ने बताया कि वे अपनी यात्रा को दोबारा कुछ समय बाद शुरू करेंगे और उसे कन्याकुमारी तक पूरा किया जाएगा.

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Published : Jun 18, 2021, 4:19 PM IST

कुल्लूःजिला की उझी घाटी के फोजल धारा गांव के वीरेंद्र पर्यावरण सरंक्षण का संदेश देने के लिए पदयात्रा पर निकले थे. 43 दिनों के बाद वीरेंद्र केरल से वापस कुल्लू पहुंच गए हैं. वीरेंद्र इस पदयात्रा पर 26 मार्च को मनाली से केरल के लिए निकले थे और 43 दिन के सफर में उनकी 28 सौ किलोमीटर की यात्रा पूरी हो गई है.

दोबारा कुछ समय बाद फिर शुरू करेंगे कन्याकुमारी तक का सफर

इस पद यात्रा का मकसद समाज को पर्यावरण सरंक्षण का संदेश देना और अधिक से अधिक पैदल चलने और गाड़ियों का कम से कम प्रयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित करना है. अंग्रेजी व हिंदी भाषा जानने वाले 22 वर्षीय युवक वीरेंद्र ने बताया कि अलग-अलग राज्यों की संस्कृति, भोजन, भाषा, गांव को जानना, समझाना और देखना और पर्यावरण संरक्षण मेरा सपना है. वहीं, वीरेंद्र ने बताया कि यात्रा के दौरान गांव-गांव में लोगों का सहयोग मिला है. रात में किसी पेट्रोल पंप परिसर में टेंट लगाकर सोते थे, ढाबे पर खाना खाते थे. वीरेंद्र ने बताया कि वे अपनी यात्रा को दोबारा कुछ समय बाद शुरू करेंगे और उसे कन्याकुमारी तक पूरा किया जाएगा.

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वीरेंद्र ने बताया कि तेज धूप और गर्मी से बचने के लिए हाथ में छाता लेकर चलते थे और रात को टेंट में रहते थे. वीरेंद्र ने बताया कि हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र होते हुए उन्होंने केरल तक अपनी यात्रा पूरी की है. हालांकि केरल से वापस कुल्लू तक पहुंचने की योजना साइकिल के माध्यम से थी, लेकिन केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मॉनसून शुरू होने के कारण वापसी का सफर स्थगित करना पड़ा. वीरेंद्र शुक्रवार को कुल्लू पहुंचने पर उसके परिवारवालों व प्रदेश कांग्रेस के सचिव भुवनेश्वर गौड़ ने स्वागत किया. वहीं, उन्होंने अन्य युवाओं से भी आग्रह किया कि वे भी वीरेंद्र की तरह समाज को पर्यावरण सरंक्षण का संदेश दे.

बिस्कुट खाकर बिताए लॉकडाउन के तीन दिन

वीरेंद्र ने बताया कि लॉकडाउन के कारण तीन दिन तक खाने के लिए कुछ नहीं मिला तो उन्होंने जो अपने बैग में बिस्किट डाल रखे थे उसके सहारे ही तीन दिन बिताए. यह उनके लिए बहुत ही कठिन दौर था. इस दौरान मुझे अपने आप को जिंदा रखना बड़ी चुनौती थी. इसके अलावा जब राजस्थान पहुंचा तो इस दौरान एक मोटरसाइकिल सवार ने मेरा मोबाइल छींनने की कोशिश की लेकिन मैंने मोबाइल जोर से पकड़ रखा था जिस कारण वह मोबाइल नहीं छीन पाया.

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