कुल्लू:हिमाचल प्रदेश में हजारों परिवार पशुपालन से होने वाली कमाई पर निर्भर हैं और घुमंतू पशु पालक भी इसमें शामिल हैं. घुमंतू पशुपालकों को सर्दियों के दौरान जहां गर्म इलाकों का रुख करना पड़ता है, तो वहीं गर्मियों के दौरान उन्हें ऊंचाई वाले इलाकों पर अपने पशुओं को ले जाना पडता है. ताकि पशुओं के लिए घास की कमी न हो. लेकिन अब धिरे-धिरे चरान के लिए निर्धारित की गई भूमि खत्म होती जा रही है. ऐसे में जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार को इस ओर विशेष रुप से ध्यान देना चाहिए. यह बात आज कुल्लू में हिमाचल घुमंतू पशुपालक महासभा (Himachal Nomadic Pashupalak Mahasabha) की राज्य सचिव पवना कुमारी ने कही.
पवना कुमारी ने इस बारे डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग (DC Kullu Ashutosh Garg) को भी एक ज्ञापन सौंपा और मांग रखी कि जिला कुल्लू के मनाली इलाके में घुमंतू पशुपालकों (Nomadic cattle farmers) के लिए जो भूमि रखी गई है, वह अब कम होती जा रही है. ऐसे में इस ओर भी जिला प्रशासन ध्यान दें. पवना कुमारी ने बताया कि घुमंतू पशुपालक गर्मियों में लाहौल जिले की चरागाह और सर्दियों में बिलासपुर, सोलन, हमीरपुर आदि जगहों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं.