कुल्लू:कोरोना संकट के बीच अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा शुरी हो गया है. यह पहला ऐसा मौका है जब अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में लोग अपने अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ को दूर से ही निहारते रहे. रथयात्रा निकलने का पता चलते ही लोग घर की छतों से आ गए और रथयात्रा को निकलता देख कई इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों से आसूं निकल आए.
कुल्लू दशहरा में हर वर्ष रथयात्रा को देखने के लिए लोगों का जमावड़ा लगा रहता था और रथ की डोर को स्पर्श करने के लिए भीड़ लगी रहती थी. इस बार मात्र 200 लोगों को रथ खींचने की अनुमति दी गई थी. इसमें भी कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद ही इन लोगों को रथ की डोर खींचने दिया गया. भगवान रघुनाथ के दर्शन को व्याकुल लोगों के कदम को पुलिस ने कई मीटर दूर पर रोक लगा दी. ऐसे में रथयात्रा के भव्य नजारे को देखने से कई लोग वंचित हुए तो कई छुपते-छिपाते रथ मैदान के साथ दाएं-बाएं झांककर किसी तरह देव दर्शन कर आए.
कुल्लू के बुजुर्ग सोमदेव ने बताया कि वह दशहरा उत्सव में हर साल आते हैं लेकिन पहली बार ऐसा देखा कि हमें भगवान रघुनाथ के पास से जाने के लिए रोका गया. देवताओं ने भी गूरों के माध्यम से उनकी बात को दोहराया है. हर वर्ष यहां पर सैकड़ों देवी-देवता आते थे. कोई आगे, कोई पीछे, किसी देवता का रथ दाईं ओर से तो सोने-चांदी के छत्रों व मुख से सुस्सजित कोई देव रथ अन्य कोनों से निकलकर सीधा कुल्लू घाटी के अधिष्ठाता देव रघुनाथ जी से मिलने को आता था लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.
दूरदराज आनी निरमंड से एक भी देवी-देवता नहीं आया. हालांकि प्रशासन की ओर से यूट्यूब व फेसबुक पर रथ यात्रा को लाइव भी दिखाया गया. कोविड-19 के नियमों को ध्यान में रखते हुए दशहरा उत्सव को अति सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा है.