कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में बीते 3 महीने पहले कांग्रेस सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण का हवाला देते हुए ब्यास बेसिन के किनारे पर स्थापित किए गए स्टोन क्रशरों को बंद किया गया था, लेकिन अब प्रदेश में निर्माण कार्य में पेश आ रही दिक्कतों को देखते हुए स्टोन क्रशर को फिर से बहाल कर दिया गया है. वहीं, जहां तीन माह तक लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा, तो अब स्टोन क्रशर खोलने के बाद भी उनकी दिक्कत कम नहीं हो पाई है, क्योंकि अब रेत और बजरी की कीमतें आसमान छू रही है. स्टोन क्रशर संचालकों द्वारा रेत बजरी के 50% दाम बढ़ा दिए गए हैं.
स्टोन क्रशर संचालकों का दावाहै कि सरकार की ओर से जो रॉयल्टी ली जाती है, उसकी फीस को भी बढ़ाया गया है. क्रशर के इस्तेमाल में जो बिजली खर्च होती है, उसकी यूनिट में भी अब सरकार द्वारा अधिक राशि वसूली जा रही है. ऐसे में जहां बरसात के सीजन में लोग स्टोन क्रशर बंद होने के चलते निर्माणकार्य नहीं करवा सके. वहीं, अब निर्माण सामग्री महंगी होने के चलते उनके घर निर्माण का सपना भी अधर में लटकता जा रहा है.
स्टोन क्रशरों के बढ़े हुए दाम: जिला कुल्लू में सरकार द्वारा 8 स्टोन क्रशर को बंद किया गया था. जिनमें से अब 4 स्टोन क्रशर को बहाल कर दिया गया है, लेकिन अब निर्माण सामग्री पहले से महंगी हो गई है. पहले एक रेत से भरा टिप्पर ₹5000 में ग्राहकों को मिलता था. उसके दाम भी अब ₹8000 हो गए हैं. इसके अलावा जो बजरी 20 रुपए स्क्वायर फीट के हिसाब से मिलती थी, वह भी अब 28 से 30 रुपए स्क्वायर फीट पहुंच गई है. बजरी का जो टिप्पर पहले 4000 रुपए का मिलता था, वह भी 7000 से लेकर साढ़े 7 हजार रुपए तक ग्राहकों को मिल रहा है. स्टोन क्रशर से लेकर भवन निर्माण स्थल की दूरी भी रेत और बजरी के दाम को बढ़ा रही है. इसके अलावा 3 माह पहले एक ईंट जहां ग्राहकों को 9 रुपए के हिसाब से मिल रही थी. अब उसका दाम भी सीधा 2 रुपए बढ़कर 11 रुपये प्रति ईट हो गया है.
लोगों में रेत-बजरी की बढ़ती कीमतों के प्रति रोष:ढालपुर में अपने घर का निर्माण करवा रहे स्थानीय निवासी तरुण विमल का कहना है कि सरकार द्वारा जो फैसला लिया गया था, उससे आम जनता सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है. पहले ही 3 महीने तक स्टोन क्रशर बंद होने से उनके भवन का निर्माणकार्य नहीं हो पाया है. वहीं, अब जब स्टोन क्रशर खुल गए तो इसके बढ़े हुए दामों के कारण वह अपने भवन का निर्माण नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और इन दामों को रेगुलेट करना चाहिए, ताकि लोग अपने भवन निर्माण के सपने को पूरा कर सके.
डिमांड ज्यादा, सप्लाई कम:वहीं, भवन निर्माण सामग्री के सप्लायर राघव सोहल का कहना है कि तीन माह तक क्रशर बंद रहने के बाद अब निर्माण सामग्री के दाम भी बढ़ गए हैं. इसके अलावा ईंट के दाम में भी ₹2 की बढ़ोतरी हुई है. जो रेत का टिप्पर पहले ₹5000 का था. अब उसका दाम ₹8000 हो गया है. ऐसे में उन्हें भी भवन निर्माण सामग्री उपलब्ध करवाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि डिमांड काफी अधिक है और सभी स्टोन क्रशर भी अभी बहाल नहीं हो पाए हैं.