लाहौल: जांस्कर के दशरथ मांझी के नाम से पहचाने जाने वाले 70 साल के लामा छुटलिन छोंजोर को पद्मश्री से नवाजा जाएगा. दशरथ मांझी के नाम से मशहूर लामा छुटलिन ने भी ग्रामीण लोगों की तकलीफ को दूर करने के लिए पहाड़ काटकर खुद ही सड़क बना डाली थी. यह सड़क करीब 38 किलोमीटर लंबी है. इस काम के लिए उन्हें अपनी जमीन जयदाद भी बेच दी.
हिमाचल में भी खुशी की लहर
दारचा से शिंकुला दर्रा होकर गुजरने वाली इस सड़क को लेह लद्दाख के कारगिल जिला के उपमंडल जांस्कर के पहले गांव करग्या तक बनाया गया है. पहली बार लामा छोंजोर जीप लेकर करग्या गांव पहुंचे थे तो ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था. हिमालय क्षेत्र के दशरथ मांझी के नाम से पहचाने जाने वाले लद्दाख के जनजातीय क्षेत्र जांस्कर के बुजुर्ग लामा छोंजोर को पद्मश्री मिलने पर जांस्कर घाटी के साथ-साथ हिमाचल में खुशी की लहर है.
लोगों ने उड़ाया था मजाक
आजादी के सात दशक बीत जाने पर भी जब जांस्कर घाटी सड़क मार्ग से महरूम रह गई तो लामा ने खुद ही इस दिशा में पहल शुरू कर दी. शुरूआती दिनों में तो लोग लामा छोंजोर को मजाक में लेने लगे, लेकिन जब लामा ने अपने सीमित संसाधनों से दारचा से शिंकुला की ओर ट्रैक तैयार कर लिया तो सभी हैरान रह गए. लामा बिना किसी की मदद के अपने सपनों को साकार करने में जुटे रहे. हौसले व हिम्मत के चलते लामा का सपना साकार हो गया और बीआरओ ने भी जांस्कर घाटी को लाहौल से जोड़ने के लिए शिंकुला दर्रे से सड़क बनाने का कार्य शुरू कर दिया.