कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में बीते कुछ दिनों में मौसम में भारी बदलाव देखने को मिला है. जहां कुछ दिनों पहले तापमान में भी वृद्धि हुई थी तो वहीं गुठलीदार फलों के लिए यह मौसम अच्छा माना जा रहा था. दो दिनों तक हुई भारी बारिश के चलते जहां घाटी के तापमान में अचानक से कमी आई. वहीं, अब अप्रैल के महीनों में जिला कुल्लू के पहाड़ों में बर्फबारी भी हुई. ऐसे में गुठलीदार फलों की सेटिंग की प्रक्रिया भी इस मौसम के कारण प्रभावित हुई है. घाटी में सेब के पेड़ों में अभी फ्लावरिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अगर आने वाले दिनों में ऐसे ही मौसम ठंडा रहा तो इससे से बागवानों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
कुल्लू जिले में हालांकि गुठलीदार फलों की सेटिंग हो चुकी है. ऐसे में अब फलों ने आकार लेना भी शुरू कर दिया है. फलों का आकार अच्छा हो इसके लिए तापमान गर्म होना आवश्यक है, लेकिन भारी बारिश के कारण तापमान में गिरावट आई है. ऐसे में अब आने वाले समय में गुठलीदार फलों का आकार प्रभावित हो सकता है. वहीं, ठंड के साथ-साथ आसमान से ओले भी जमकर बरसे. जिससे फलदार पेड़ों को भी नुकसान हुआ है. जिला कुल्लू के गड़सा, मणिकर्ण, शमशी, बंजार, तीर्थन, आनी में कई जगह पर तेज तूफान के कारण फलदार पेड़ों की टहनियां टूट गई तो वहीं कई छोटे पेड़ भी इसे उखड़ गए. कई जगह पर जहां सेटिंग की प्रक्रिया पूरी हो गई थी, वहां पर भी ओलों कारण फलों में दाग आ गए हैं.
लोअर किसान एवं बागवान संगठन के अध्यक्ष करतार सिंह गुलेरिया, कुल्लू फल उत्पादक मंडल के अध्यक्ष प्रेम शर्मा, बागबान संजीव उपाध्याय, नीरज ठाकुर का कहना है कि कुछ जगह पर सेब के पेड़ों में फूल आने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. ठंड के कारण यह फूल पेड़ों से झड़ने लगे हैं. ऐसे में फ्लावरिंग के दौर में अधिक ठंड सेब की सेहत को खराब कर सकती है. अगर आने वाले दिनों में तापमान सही नहीं हुआ तो इससे आने वाले सेब के सीजन को खासा नुकसान हो सकता है.