किन्नौर:जनजातीय जिला किन्नौर में प्रस्तावित जंगी ठोपन जल विद्युत परियोजना का ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों को डर है कि इस परियोजना के निर्माण से उनके आशियानों को खतरा हो सकता है जिसकी वजह से वे इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं.
एसजेवीएनएल को सौंपा गया परियोजना का कार्य
बता दें कि जिला किन्नौर में नाथपा झाकड़ी जल विद्युत परियोजना 15 सौ मेगावॉट, बासपा परियोजना 3 सौ मेगावॉट, शोंग ठोंग करछम 450 मेगावॉट और भविष्य में बनने वाली जंगी ठोपन सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल) की 8 सौ मेगावाट के निर्माणाधीन कार्य शुरू होगा. इसके लिए एसजेवीएनएल लगातार अपने कार्यो में लगी हुई है. जिला में इसी तरह छोटे नदी नालों पर अभी कई जलविद्युत परियोजनाओं का काम चला हुआ है जिनका ग्रामीण स्तर पर विरोध होता रहा है.
जंगी थोपान परियोजना का ग्रामीण कर रहे विरोध
ग्रामीणों का कहना है कि जल विद्युत परियोजना से पानी के जलस्त्रोत सूख सकते हैं. इसके अलावा भी उन्हें बहुत नुकसान हो सकता है. परियोजना के निर्माण के समय रासायनिक धमाकों से जिला किन्नौर की हवा भी प्रदूषित होती है और नदी-नालों के जलस्तर की गुणवत्ता खराब होती है. जिला में अबतक 50 फीसदी जलविद्युत परियोजनाओं का काम खत्म हो चुका है, जो बहुत बड़े स्तर के जलविद्युत परियोजना के काम हैं. यह करोड़ों की लागत से बनने वाली परियोजनाओं में से एक है, जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. आने वाले समय में ग्रामीण बड़े स्तर पर इसे लेकर विरोध भी कर सकते हैं.