किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के पूह खंड के रिब्बा गांव मे कुरिमस के दिन पहली बार देवता कासुराजस अपनी तपस्वी स्थल से बाहर निकले. देवता के आगमन में रिब्बा गांव में मेले के आयोजन किया जाता है. कुरिमस मेला रिब्बा गांव का पहला मेला है.
रिब्बा वासियों की मान्यता है कि साल के शुरुआती दिन जब बर्फबारी खत्म होकर धरती से हरियाली निकलनी शुरू होती है और पेड़-पौधों में फूल-पत्तियां निकलनी शुरू होती है, तब कुरिमस मेले की शुरुआत रिब्बा गांव में होती है. इस मेले में सभी ग्रामीण घर से पारम्परिक वेशभूषा में रिब्बा देवता कासुराजस के मंदिर प्रांगण में एकत्रित होते हैं. देवता कासुराजस द्वारा इस मेले की शुरुआत की जाती है. मेले में स्थानीय महिलाएं देवता कासुराजस को शूर और गूग्गल नाम की पहाड़ी धूप से पूजा अर्चना करते हैं.
रिब्बा गांव के प्रधान प्रेम नेगी ने बताया कि कुरिमस मेले में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा मंदिर प्रांगण में छम्म मेले का आयोजन किया जाता है. छम्म मेले में अलग अलग तरीकों से बौद्ध भिक्षु रूप बदलकर आते हैं और बकरे रूप का तोरमा (सत्तू व अन्य अनाजो का बनाया गया पुतला) बनाकर लाते हैं. तोरमा को मंदिर के चारों तरफ घुमाकर बुराई को बाहर निकाला जाता है.