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हिमाचल में विकास की 'कछुआ रफ्तार', 8 सालों में खुदा तो सिर्फ गड्ढा, भवन का नहीं कोई पता

जनजातीय जिला किन्नौर व लाहौल स्पीति के लोगों को इलाज व दवाई के लिए रामपुर जाना पड़ता है. ऐसे में उन्हें कई बार उन्हे रामपुर में ही ठहरना पड़ता है. यहां निजी होटलों में ठहरने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नजर नहीं आता है. निजी होटल लोगों से मोटी रकम ऐंठते हैं.

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Published : Jun 3, 2019, 9:45 AM IST

किन्नौरः रामपुर में जनजातीय भवन न होने से लाहौल स्पीति और किन्नौर के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जनजातीय जिला किन्नौर व लाहौल स्पीति के लोगों को इलाज दवाई व के लिए रामपुर जाना पड़ता है. ऐसे में उन्हें कई बार यहीं ठहरना पड़ता है. यहां निजी होटलों में ठहरने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नजर नहीं आता है. निजी होटल लोगों से मोटी रकम ऐंठते हैं.

वर्ष 2011 में इस समस्या को देखते हुए किन्नौर व लाहौल स्पीति के लोगों ने उस समय की मौजूदा धूमल सरकार से बार-बार गुहार लगाई थी. जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व जिला किन्नौर के पूर्व विधायक तेजवंत सिंह नेगी ने रामपुर में किन्नौर व लाहौल स्पीति लोगों को ठहरने के लिये जनजातीय भवन का शिलान्यास किया था. लगभग आठ वर्ष बीत जाने के बाद भी किन्नौर व लाहौल स्पीति के लोगों के लिए आज भी यहां जनजातीय भवन का निर्माण हो पाया है. धूमल सरकार के बाद वीरभद्र सरकार भी आकर चली गई. जयराम सरकार भी डेढ़ साल का कार्यकाल लगभग पूरा चुकी है, लेकिन अभी भी भवन के नाम पर सिर्फ गड्ढे ही हैं.

युवा कांग्रेस मंडी लोकसभा के मीडिया प्रभारी आरपी युलाम ने कहा कि 3.78 करोड़ का बजट जनजातीय भवन के लिए तत्कालीन धूमल सरकार ने रखा था. जिसमे से एक करोड़ टोकन मनी लोक निर्माण विभाग को दे दिया गया था. जनजातीय भवन के लिए चयनित स्थान पर खुदाई को बीच में छोड़ दिया गया, इसके बाद इस भवन के लिए किन्नौर में काफी राजनीति हुई, लेकिन अभी भी मौजूदा सरकार बीजेपी की है जो अभी तक इस जनजातीय भवन के कार्यों को लेकर मूकदर्शक बनी हुई है. ऐसे में किन्नौर व लाहौल स्पीति के हजारों लोगों को रामपुर में ठहरने की व्यवस्था न होने से दर-ब-दर भटकना पड़ रहा है.

युलाम का कहना है कि लोकनिर्माण विभाग इसका जल्द से जल्द टेंडर कर कार्य को शुरू करें और मौजूद बीजेपी की सरकार भी किन्नौर व लाहौल स्पीति के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार न कर इस कार्य को शीघ्र अति शीघ्र पूरा करें. समय रहते जनजातीय भवन का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ तो विभाग व सरकार को वो कोर्ट में चुनौती देंगे.

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