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रेहड़ी चालकों पर कोरोना की मार, दो वक्त की रोटी के लिए भी हुए मोहताज

कोरोना वायरस ने अमीर वर्ग से लेकर गरीब आदमी तक अपना बुरा प्रभाव डाला है. दिन भर सड़कों पर दिहाड़ी लगा कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने वालों लोगों पर इसका सबसे बुरा प्रभाव पड़ा है.

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Published : Jul 29, 2020, 11:07 PM IST

Updated : Jul 31, 2020, 2:54 PM IST

special story on street wanders in kangra
फोटो

कांगड़ा: कोई भी कारोबार कोरोना वायरस की मार से अछूता नहीं रहा है. उद्योगपति से लेकर सड़कों पर रेहड़ी लगाने वाला गरीब, इस महामारी ने हालातों के आगे सबको बेबस बना दिया है. अमीर तबका जैसे-तैसे अपनी जरुरतों को पूरा कर रहा है, लेकिन दिन भर सड़कों पर दिहाड़ी लगा कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने वाले गरीब लोग हालातों के आगे लाचार हैं. चार पैसे कमा कर अपनी आजीविका चलाने वाले लोगों पर कोरोना ने अपनी पूरी छाप छोड़ी है.

हिमाचल में बहुत से लोग ऐसे हैं, जो रेहड़ी लगा कर अपना कारोबार करते हैं. सब्जियों से लेकर छोले कुलचे और मोमोज बेचने वाले गरीब लोग कड़ी धूप में महेनत कर अपने परिवार का पेट पालते थे. पहले लॉकडाउन ने इनकी परीक्षा ली और अब अनलॉक इनके लिए चुनौती बनकर खड़ा है.

वीडियो रिपोर्ट.

लॉकडाउन के चलते रेहड़ी चालकों को भारी नुकसान का सामना तो करना ही पड़ा, लेकिन अब अनलॉक में भी इन्हे हताशा ही हाथ लगी है. बर्गर की रेहड़ी लगाने वाले एक शख्स का कहना है कि अनलॉक शुरू होने के बाद भी बर्गर की सेल उतनी नहीं है, जितनी होनी चाहिए थी. जिस वजह से उन्हे काफी नुकसान हो रहा है.

कोरोना वायरस से जनता काफी डरी हुई है. लोग रहेड़ी चालकों से खाने-पीने का सामान लेने से परहेज कर रहे हैं. यह भी एक बड़ा कारण है कि पूरा दिन रेहड़ी चालकों की कमाई ना के बराबर हो रही है. फास्ट फूड की रेहड़ी लगाने वाले संजीव भारद्वाज का कहना है कि इस वक्त हालात बहुत खराब हैं. पेट पालने के लिए लॉकडाउन के दौरान सब्जी की रेहड़ी भी लगाई ताकि उससे गुजार हो सके, लेकिन वो भी इतनी नहीं चली.

लॉकडाउन से पहले दिन में 700 से 900 रुपये कमाने वाले यह लोग अब मुश्किल से 100 रुपये कमा रहे हैं. कोरोना ने इन्हें इस हद तक बेबस बना दिया है कि इस मुश्किल दौर से निकल पाना भी इनके लिए चुनौती बन गया है. रेहड़ी फड़ी वालों को सरकार से राहत की उम्मीद है.

Last Updated : Jul 31, 2020, 2:54 PM IST

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