कांगड़ा/ज्वालामुखी: ज्वालाजी अस्पताल के बाहर लाखों रुपये खर्च कर लगाई गई हाईमास्क लाइट करीब डेढ़-दो साल से बंद पड़ी हुई है. जिस कारण अस्पताल में रुकने वाले मरीजों व तीमारदारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
अस्पताल के बाहर बंद पड़ी हाइमास्क लाइट लोगों का कहना है कि इस मामले को लेकर स्थानीय नगर परिषद प्रशासन भी मौन बैठा है. हाईमास्क लाइट को ठीक करवाना तो दूर कभी प्रशासन ने इसकी सुध तक लेना भी जरूरी नहीं समझा है. उन्होंने कहा कि स्ट्रीट लाइट के खराब होने के कारण शाम के समय क्षेत्र में अंधेरा पसरा रहता है. वहीं, आवारा पशु अस्पताल के गेट में रास्ते में बैठे रहते हैं, जिस कारण यहां दुर्घटनाएं होने का अंदेशा भी अकसर बना रहता है.
स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि अभी बीते दिनों भी यहां दो हादसे पेश आ चुके है, जिसमें 2 लोग घायल हुए थे. इसके अलावा कई चोर भी लाइट खराब होने का फायदा यहां उठा चुके हैं. अस्पताल में रात के समय बीते कुछ महीने चोरी की घटनाएं सामने आई थी. उन्होंने बताया कि सिविल अस्पताल के पास की हालत भी बहुत गंभीर रहती है. रात के समय यहां नशा करने वाले युवक इकट्ठे हो जाते हैं, जिससे आने-जाने वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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स्थानीय दुकानदारों ने बताया घुप्प अंधेरा रहने के कारण यहां राहगीरों को परेशानी रहती है. वहीं, अस्पताल की सड़क से 300 मीटर की दूरी होने के कारण महिलाओं को अंधेरे में आने-जाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लोगों ने ने नगर परिषद से हाइमास्क लाइट को जल्द से जल्द ठीक करवाने की मांग की है.
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने कई बार नगर परिषद को इस हाईमास्क लाइट को ठीक करने के लिए कहा है, लेकिन परिषद ने अभी तक इसको ठीक करने की ओर कोई कदम नहीं उठाया है.
अस्पताल के बाहर लगे हैं कूड़े के ढ़ेर
अस्पताल के पास रखा डस्टबीन भी कूड़े से भरा रहता है. कूड़ा डस्टबीन के इधर-उधर बिखरा रहता है, जिस पर अकसर आवारा पशु मुंह मारते दिखते हैं. यही नहीं अस्पताल के बाहर फैले कूड़े से कई प्रकार की बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है. हैरत है कि मरीज इसी रास्ते से होकर अस्पताल पहुंचते हैं और दुर्गंध से अपनी नाक बंद करते चलते हैं.
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नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी देशराज चौधरी का कहना है कि स्ट्रीट लाइट को ठीक करने के लिए तकनीकी कर्मचारी बुलाए गए हैं. जल्द ही इसे ठीक व चालू कर दिया जाएगा. वहीं, अस्पताल के बाहर पड़े की बात है तो इसे यहां से हटाकर डस्टबीन फ्री किया जा रहा है.