हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

बीमार मां के साथ एक कमरे में कट रही जिंदगी...लिफाफे बनाकर ये बेटी चुकाती है कॉलेज की फीस

ज्वालामुखी में लिफाफे बनाकर गुजर-बसर कर रही पुष्पा देवी और उनकी बेटी का हाल जानने विधायक रमेश धdवाला शनिवार को उनके घर पहुंचे. इस दौरान विधायक ने जहां जर्जर मकान की हालत देखकर उसे जल्द बनाने का आश्वासन दिया. वहीं,गैस उपलब्ध करवाने के भी अधिकारियों को निर्देश दिए.

MLA Dhavala knows poor family in Jwalamukhi
विधायक धवाला

By

Published : Aug 22, 2020, 7:19 PM IST

ज्वालामुखी :कागज के लिफाफे बनाकर जिंदगी गुजार रही दिव्यांग पुष्पा और उनकी बेटी अनीता का हाल जानने राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष और विधायक रमेश ध्वाला पहुंचे. ज्वालामुखी के वार्ड नंबर एक में रहने वाली दिव्यांग पुष्पा के जर्जर मकान को देखकर विधायक ध्वाला ने जल्द मकान बनाने का आश्वासन दिया. वहीं, मौके पर ही विधायक ने अधिकारियों को जल्द गैस उपलब्ध करवाने के निर्देश अधिकारियों को दिए.

विधायक ने बताया कि परिवार की आर्थिक मदद की जाएगी. दिव्यांग महिला पुष्पा की बेटी अनिता को स्वरोजगार के काबिल बनाने में भी मदद की जाएगी, ताकि परिवार के सामने रोजी-रोटी का सकंट ना खड़ा हो. इस मौके पर मंदिर न्यास सदस्य जितेंद्र पाल दत्ता, प्रशांत शर्मा, नगर परिषद सदस्य ज्योति शंकर शर्मा ने भी इस परिवार को व्यक्तिगत सहयोग करके घर बनाने में मदद की बात कही.

वीडियो

पीएम आवास योजना में भी नाम

अनीता के मुताबिक नगर परिषद ज्वालामुखी ने उन्हें बीपीएल सूची में डालकर पीएम आवास योजना में लिया है, मां को पेंशन मिलती है जिससे घर चल रहा है. बीडीओ देहरा डॉक्टर स्वाति गुप्ता ने बताया परिवार गरीबी की चपेट में है, हमने बीपीएल परिवार में रखा हुआ है. प्रधानमंत्री आवास योजना में भी नाम डाला गया है. वहीं, नगर परिषद की कार्यकारी अधिकारी कंचव बाला ने बताया परिवार की आर्थिक स्थिति को देखकर जो मदद विभागीय स्तर पर होगी वह की जाएगा.

अनिता ने बताया कि जब बह आठ साल की थी तब पिता की मौत हो गई. पिता ने दो कमरे का मकान बनाना शुरू किया था, लेकिन छत डलने से पहले ही उनकी मौत हो गई. पिता की मौत के बाद पैसों की तंगी के कारण आज तक मकान का काम आगे नहीं बढ़ पाया और ये घर खंडहर बन गया.

मां पिछले 25 सालों से पैरालिसिस का शिकार हैं. मां चलने फिरने में भी असमर्थ हैं. पिता की मौत के बाद मामा ने पढ़ाई लिखाई का खर्च उठाया, लेकिन उनके मामा की मौत भी हो गई. अनीता कागज के लिफाफे बनाती हैं और उन्हें बेचकर अपनी जरूरतें और कॉलेज की फीस भरती हैं. 28 लिफाफे बनाकर अनीता को 10 रुपये मिलते हैं. अनिता ने अपनी मदद के लिए अब समाज सेवियों और सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

ये भी पढ़ें :नगर निगम धर्मशाला ने कारोबारियों दी राहत, माफ किया 40 लाख का टैक्स

ABOUT THE AUTHOR

...view details