कांगड़ा:मलकवाल बस हादसे को हुए आज पांच साल बीत गए, लेकिन मलकवाल गांव के जख्म आज भी हरे हैं. आज भी इन लोगों को आशा है कि इनके बच्चे लौट के जरूर आएंगे. जी हां हम बात कर रहे है नूरपुर विधानसभा के अंतर्गत आते मलकवाल गांव की. जहां पर एक ऐसा कहर बरपा था जिसने अपने आगोश में 28 बच्चों को ले लिया था. बात बीते पांच साल पहले की है. जब सत्ता में काबिज भाजपा की नई-नई सरकार बनी थी और उस सरकार के मुखिया जयराम ठाकुर थे. सरकार बने कुछ ही समय हुआ था और अचानक 9 अप्रैल की दोपहर के तीन बजे एक खबर आई कि नूरपुर के मलकवाल में प्राइवेट स्कूल की बस गहरी खाई में जा गिरी है.
खबर मिलते ही प्रदेश भर में मातम छा गया. नूरपुर के मलकवाल के हर घर में चीखो पुकार सुनाई देने लगी, क्योंकि इस गांव के 28 बच्चे मौत की भेंट चढ़ गए थे. कोई पहली बार स्कूल जा रहा था तो कोई स्कूल के रोज जाने वाले बच्चे इस बस में सवार थे. आज पांच साल बीत जाने के बाद भी इस गांव के लोगों के जख्म हरे के हरे हैं और यह लोग आज भी उस जांच के निष्कर्ष की आशा में बैठे हैं कि शायद जांच रिपोर्ट बता दे कि हादसा कैसे हुआ था. एक लड़की जिसकी शादी होनी थी उसने इसी स्कूल बस में लिफ्ट ली उसे क्या पता था की उसकी डोली के बजाए उसकी अर्थी उठ जाएगी.
नूरपुर के मलकवाल में लोग सुबह अपने बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करके भेजा था और दोपहर को बस समय पर ना आने के कारण सभी लोग परेशान हुए कि आज बस क्यों नहीं आई. जब इन लोगों को पता चला कि स्कूल बस खाई में गिर गई है तो गांव का माहौल मातम में बदल गया. एक पिता दौड़ता हुआ उस स्थान पर पहुंचा और देखा कि बस गहरी खाई में गिर गई है तो उसने उस स्थान पर पहुंचकर बच्चों को बचाना शुरू किया. फिर एक महिला कुसुम वहां पहुंची और देखा तो उसके घर के चारों चिराग बुझ चुके थे. एक-एक कर के गांव वालो को पता चला कि स्कूल बस गहरी खाई में गिर गई है तो गांव का माहौल मातम में बदल गया. एक तरफ चीखो पुकार थी तो दूसरी तरफ मदद की दरकार थी. कोई करता भी तो क्या करता बस इतनी गहरी खाई में जा गिरी थी कि उस तक पहुचना मुश्किल था, लेकिन कई लोग अपनी जान को जोखिम में डाल कर बच्चों को बचाने के लिए वहां पहुंचे थे. फिर भी 8 बच्चों को बचा लिया गया और 28 बच्चों ने अपनी जान से हाथ धो दिए थे.