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सबसे संवेदनशील जोन 5 में आता है जिला कांगड़ा, 1905 में हुई थी भारी तबाही - earthquake in himachal news

मंगलवार रात को भूकंप के झटकों से प्रदेश और देश के कुछ हिस्से हिले. भूकंप के झटकों के कारण लोगों काफी समय तक डरे व सहमे रहे और फोन के माध्यम से एक दूसरे की सही सलामती की खबर लेते नजर आए. बता दें कि भूंकप की दृष्टि से पूरे हिमाचल प्रदेश को छह जोनों में बंटा गया है. इन जोनों में सबसे अति संवेदनशील जोन चार और पांच को रखा गया है. जियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ चंद्र प्रकाश के अनुसार सबसे अति संवेदनशील जोन 5 में पूरा जिला कांगड़ा व जिला चंबा का कुछ हिस्सा आता है. अगर इस जोन में सात कि ज्यादा से तीव्रता का भूकंप आए तो सबसे ज्यादा नुकसान चार व पांच जोन के हिस्सों में ही होगा.

Kangra more danger for earthquake
सांकेतिक तस्वीर.

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Published : Mar 22, 2023, 9:54 PM IST

कांगड़ा: जिला कांगड़ा के कई क्षेत्रों में भूकंप के दो झटके महसूस किए गए हैं. मंगलवार की देर रात करीब 10:17 बजे आए भूकंप का मुख्य केंद्र अफगानिस्तान के हिंदू कुश क्षेत्र में जमीन के अंदर 156 किलोमीटर की गहराई पर था. भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5.5 रही. लोगों को पहले भूकंप का हल्का झटका महसूस हुआ, जबकि भूकंप के दूसरे जोरदार झटके ने लोगों को घरों से बाहर निकने को मजबूर कर दिया. हालांकि राहत की बात यह रही कि भूकंप के इतने तेज झटकों से किसी प्रकार का कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है.

भूकंप के झटकों के कारण लोगों काफी समय तक डरे व सहमे रहे और फोन के माध्यम से एक दूसरे की सही सलामती की खबर लेते नजर आए. कुछ लोगों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वे रात को सोए हुए थे कि अचानक उनका बेड जोर-जोर से हिलने लगा और वे उठकर बाहर की तरफ भागे. कुछ लोगों ने बताया वे टीवी देख रहे थे कि अचानक छत पर लगे पंखे व जमीन हिलने लगी. बता दें कि भूंकप की दृष्टि से पूरे हिमाचल प्रदेश को छह जोनों में बंटा गया है. इन जोनों में सबसे अति संवेदनशील जोन चार और पांच को रखा गया है. जियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ चंद्र प्रकाश के अनुसार सबसे अति संवेदनशील जोन 5 में पूरा जिला कांगड़ा व जिला चंबा का कुछ हिस्सा आता है. अगर इस जोन में सात कि ज्यादा से तीव्रता का भूकंप आए तो सबसे ज्यादा नुकसान चार व पांच जोन के हिस्सों में ही होगा.

बता दें कि जिला कांगड़ा में लगातर थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं. बता दें कि कांगड़ा में 4 अप्रैल, 1905 की सुबह आए 7.8 की तीव्रता वाले भूकंप में 20 हजार से ज्यादा इंसानी जानें चली गई थीं. भूकंप से एक लाख के करीब इमारतें तहस-नहस हो गई थीं, जबकि 53 हजार से ज्यादा मवेशी भी भूकंप की भेंट चढ़ गए थे. इस भूकंप में कांगड़ा में बना मां ब्रजेश्वरी देवी का मंदिर भी पूरी तरह से तहस नहस हो गया था. जिसे बाद में फिर से बनाया गया था.

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