हमीरपुर: हिमाचल को देवी-देवताओं की भूमि भूमि माना जाता है. यहां पर साक्षात रूप में भगवान मौजूद रहते हैं. सैकड़ों की संख्या में मंदिर मौजूद हैं, जिनका ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है. ऐसा ही एक मंदिर महाराजा संसार चंद की नगरी सुजानपुर टीहरा मौजूद है. महाराजा संसार चंद ने लगभग 400 साल पहले स्वयं मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया था. हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में नतमस्तक होते हैं और भगवान श्री कृष्ण जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. महाराजा संसार चंद के जमाने से स्थापित ये मंदिर आज भी लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
मुरली मनोहर की खासियत
मंदिर की खासियत ये है कि यहां सैकड़ों साल पहले से ही श्री कृष्ण की मूर्ति पर बांसुरी विपरीत दिशा में पकड़ी गई है जिसका रहस्य बरकरार है. अकसर भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में बांसुरी को सीधी दिशा में पकड़े हुए देखा गया है, लेकिन हिमाचल के सुजानपुर टीहरा में स्थित मुरली मनोहर मंदिर के मंदिर में विपरीत दिशा में बांसुरी पकड़ी गई है. इस मंदिर से राजाओं द्वारा श्री कृष्ण और राधा रानी को गुलाल लगाकर ही सुजानपुर के होली मेले का शुभारंभ किया जाता था. महाराजा संसार की रानियां ऐतिहासिक मैदान में होली खेलती थीं. आज भी यह परंपरा इसी तरह से निभाई जा रही है, मुरली मनोहर मंदिर से ही विधिवत पूजा अर्चना करके ही राष्ट्र स्तरीय होली का शुभारंभ प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा किया जाता है.
सुजानपुर स्थित मुरली मनोहर मंदिर मंदिर का इतिहास
मुरली मनोहर मंदिर में मौजूद भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते हुए विपरीत दिशा में दिखाई देते हैं, जो कि अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं. बांसुरी की दूसरी दिशा में पकड़कर बजाने के पीछे महाराजा संसार चंद के समय से एक दन्त कथा जुड़ी हुई है. जिसमें कहा जाता है कि मुरली मनोहर मंदिर के अंदर श्री कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की जा रही थी, तो महाराजा संसार चंद ने पुजारियों से श्री कृष्ण जी की ही मूर्ति स्थापित करने पर सवालिया निशान खड़े किए और कहा कि अगर सुबह तक मुझे जवाब नहीं मिला तो सभी पुजारियों के सिर काट दिए जाएंगे. इस पर पुजारी रात भर चिंता में रहे, लेकिन जब सुबह मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण के चमत्कार को देखकर दंग रह गए और देखा कि बांसुरी दूसरी दिशा में घूम गई थी.
एक लाख रुपए से हुआ मंदिर निर्माण
पुजारियों ने बताया कि महाराज शाम के समय बांसुरी की दिशा सीधी थी, लेकिन अब यह विपरीत दिशा में घूम गई है. इससे साक्षात भगवान श्री कृष्ण के मौजूद होने का सबूत मिलता है. वहीं, मुरली मनोहर मंदिर को लखटकिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसका निर्माण महाराजा संसार चंद के समय में एक लाख रुपए से करवाया गया था. इसको देखकर उस जमाने की याद ताजा हो जाती है.
मंदिर के अंदर बेहतरीन नकाशी की गई और मंदिर की सजावट इस तरीके से हुई है.मंदिर में शीश नवाने पहुंचे श्रद्धालुओं की मानें तो इस मंदिर में सच्चे मन से मन्नत मांगी जाए तो वह पूरी होती है. वहीं, मंदिर पुजारी रवि अवस्थी ने बताया कि मुरली मनोहर मंदिर में तीन मूर्तियां स्थापित हुई हैं. मुख्य मूर्ति भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति है जिसमें बांसुरी विपरीत दिशा में है जो कि पूरे ब्रह्मांड में अकेले सुजानपुर में ऐसा मंदिर है जहां पर स्थापित है. मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना सच्चे मन से करने पर हर मुराद पूरी होती है.
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