हमीरपुर: जिला हमीरपुर के राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थान एनआईटी हमीरपुर में व्यवस्थाओं के नाम पर छात्रों के साथ मजाक हो रहा है. एनआईटी हमीरपुर की अव्यवस्थाओं के कारण छात्रों को आए दिन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. भर्ती विवादों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले एनआईटी हमीरपुर में प्रबंधन की लचर कार्यप्रणाली के कारण छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालात ऐसे हैं कि एनआईटी हमीरपुर के परिसर में मौजूद 23 दुकानों पर पिछले 13 दिन से ताले लटक रहे हैं.
13 दिन से बंद हैं दुकानें: वहीं, एनआईटी हमीरपुर प्रबंधन के द्वारा यह तर्क दिया जा रहा है कि दुकानों का संचालन टेंडर प्रक्रिया के जरिए किया जाता है. वर्तमान में 31 मई को दुकानों का टेंडर खत्म हो चुका है और पुराने ठेकेदार को 15 दिन के भीतर दुकानें खाली करने का समय दिया गया है. जबकि नए टेंडर 15 जून के बाद लागू होंगे. एनआईटी हमीरपुर के टेंडरिंग कि इस गजब व्यवस्था से दुकानें बंद है. जिस वजह से छोटे-मोटे सामान के लिए भी संस्थान में पढ़ रहे हजारों विद्यार्थियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
एनआईटी प्रबंधन का तर्क: इतना ही नहीं एनआईटी हमीरपुर के प्रबंधन का तर्क है कि वर्तमान समय में प्रथम वर्ष के छात्र ही संस्थान में मौजूद हैं, जबकि अन्य छात्र छुट्टी पर हैं. प्रबंधन का यह तर्क भी संस्थान की कार्यशैली को दर्शाता है कि आखिर छात्रों की सुविधाओं के लिए वह कितने सजग हैं. एनआईटी हमीरपुर प्रबंधन की टेंडरिंग की इस प्रक्रिया को अगर बाजिव माना जाए तो हर साल 15 दिन यह दुकानें बंद रहेंगी. ऐसे में क्या राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में टेंडरिंग की इस प्रक्रिया को 15 दिन पहले शुरू नहीं किया जा सकता था, ताकि दुकाने बंद ना हो. एनआईटी हमीरपुर के मुताबिक यदि व्यवस्था को चलाया जाता है तो निजी क्षेत्र में करवाए जा रहा हर काम इस तरह के कथित शट डाउन से प्रभावित होगा.
स्टेशनरी के लिए जाना पड़ रहा बाजार:बताया जा रहा है कि स्टूडेंट्स को कॉपी-पेंसिल और स्टेशनरी से जुड़े अन्य सामान लेने के लिए अब बाजार का रुख करना पड़ रहा है. जबकि एनआईटी हमीरपुर प्रबंधन यह तर्क दे रहा है कि स्टूडेंट्स को हॉस्टल में यह सामान उपलब्ध करवाया जा रहा है. व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाए एनआईटी के प्रशासन टालमटोल में जुटा हुआ है. खबर में नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर स्टूडेंट्स और उनके अभिभावकों का कहना है कि एनआईटी प्रबंधन की इस व्यवस्था के कारण बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. सुबह से शाम तक स्टूडेंट का शेड्यूल इतना व्यस्त होता है कि कभी-कभी तो बाजार जाने के लिए फुर्सत तक नहीं होती है.
परीक्षाओं का दौर होने से परेशानी दोगुना: एनआईटी हमीरपुर में प्रथम वर्ष में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों की इन दिनों परीक्षाएं चली हुई हैं. परीक्षाओं के चलते छात्रों को पढ़ाई से जुड़े स्टेशनरी की अधिक जरूरत रहती है. जबकि पढ़ाई में भी अधिक समय देना पड़ता है. ऐसे में एक कॉपी-पेंसिल और अन्य स्टेशनरी का सामान लेने के लिए उन्हें बाजार का रुख करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं बाजार जाने के लिए बाकायदा विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है और इसमें भी एक लंबी प्रक्रिया होने के चलते समय लगता है. कुल मिलाकर एनआईटी हमीरपुर प्रबंधन की लचर कार्यशैली से राष्ट्रीय संस्थान में विद्यार्थी परेशान हो रहे हैं.
रजिस्ट्रार का तर्क टेंडरिंग प्रक्रिया में लगता है वक्त: वहीं, इस सारे वाक्य पर एनआईटी हमीरपुर के रजिस्ट्रार राजेश्वर का कहना है कि 31 मई को दुकानों के पुराने टेंडर समाप्त हो गए थे. अब नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया पूरी की जा रही है. पुराने ठेकेदार को 15 दिन के भीतर दुकानें खाली करने का समय दिया गया है, जल्दी टेंडर प्रक्रिया पूरी कर दुकाने खोल दी जाएंगी.
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