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छोटे दुकानदारों को कोई राहत नहीं दे पा रही जयराम सरकार: राजेंद्र राणा

सुजानपुर से कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने जयराम सरकार को फिर से आड़े हाथों लिया है. राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना महामारी के दौर में लोगों को राहत देने में पूरी तरह से नाकाम रही है. छोटे-बड़े कारोबारियों से लेकर आम जनता तक हर वर्ग सरकार से परेशान है.

rajinder rana
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Published : Jul 25, 2020, 7:59 PM IST

सुजानपुर: जयराम सरकार पर हमला बोलते हुए विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि कोविड-19 के दौर में प्रदेश के छोटे दुकानदारों का हाल-बेहाल है. जयराम सरकार की कागजी घोषणाओं के सिवा इस वर्ग को कोई भी मदद जमीनी स्तर पर नहीं मिल पाई है.

यहां तक कि इन लोगों को राहत देने के लिए बैंक भी इन्हें कर्ज देने से लगातार टालमटोल का रवैया अपना रहे हैं. सीधे शब्दों में कहें तो कर्ज संबंधी सरकार की गाइडलाइन को बैंक लागू ही नहीं कर रहे हैं. राणा ने कहा कि उन्हें कई जिलों से छोटे दुकानदारों ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि उन लोगों को कर्ज देने के लिए इतनी औपचारिकताएं बताई जा रही हैं कि उन्हें पूरा करना छोटे व कम पढ़े- लिखे दुकानदारों के बस की बात नहीं है.

बैंकिंग सेक्टर से जुड़े कुछ लोगों से जब उन्होंने इस हकीकत का सच जानना चाहा तो बैंक के अधिकारियों ने उनके इंटर्नल सिस्टम को दो टुक बताया कि सरकार जो मर्जी दावे कर ले, सरकार गाइडलाइन जारी करने के साथ ही बैंक को एक लाइन का सर्कुलर भी भेजती है, जिसे जगजाहिर नहीं किया जा सकता है.

इस सर्कुलर में साफ लिखा रहता है कि हर लोन की व्यक्तिगत जिम्मेदारी बैंक अधिकारियों की होगी. ऐसे में यह समझना मुश्किल नहीं है कि सरकार की करनी और कथनी में जमीन-आसमान का फर्क है. सरकार वाहवाही लूटने के लिए गाइडलाइन जारी करके कागजी दावे तो खूब करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई भी गाइडलाइन हकीकत में लागू नहीं हो पा रही है.

कोविड-19 के दौर में तबाह हो चुके छोटे दुकानदारों का कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ा है, लेकिन आफत के इस दौर में उनकी मदद किसी स्तर पर नहीं हो पा रही है. प्रदेश में यही स्थिति बड़े व्यापारियों की भी है, जिनकी मदद के दावे में जयराम सरकार ने कहा है कि जिन लोगों ने पहले से बैंकों से कर्जा लिया है, उन्हें उस कर्जे का 20 फीसदी और कर्जा बिना किसी गारंटी के मिलेगा.

राणा ने कहा कि सरकार कोविड-19 में बदहाल हो चुके व्यापारियों से राहत के नाम पर कागजी दावों का मजाक बंद कर सरकार इन्हें जमीनी स्तर पर लागू करवाना सुनिश्चित करे. इस वर्ग का दुख दर्द समझते हुए सरकार इनकी मदद करे, लेकिन लगता है कि सरकार को इस वर्ग को राहत देने से ज्यादा कंगाल हो चुके खजाने को भरने की चिंता ज्यादा है. अन्यथा सरकार को टैक्स के रूप में बड़ा हिस्सा देने वाले इस वर्ग को अब तक राहत मिल चुकी होती.

वहीं, दूसरी तरफ हालात यह हैं कि जो व्यापारी जीएसटी रिर्टन भरने में लेट हुए हैं. उनसे पैनल्टी समेत जीएसटी रिटर्न भरवाई जा रही है. राहत और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर पूरी तरह फ्लॉप हो चुकी सरकार सिर्फ कागजों में राहत के नगाड़े पीट रही है. महामारी और मंहगाई ने हर वर्ग का जीना दुश्वार किया है, लेकिन सरकार झूठ पर झूठ बोलकर राहत के नाम पर जनता को गुमराह करने का असफल प्रयास कर रही है.

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