हमीरपुर: जिला मुख्यालय हमीरपुर से सटी 4 पंचायतों में पीलिया प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. यह पंचायतें सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र की हैं जो कि जिला मुख्यालय हमीरपुर के साथ लगती हैं. स्वास्थ्य विभाग हमीरपुर के मुताबिक इन 10 गांव में अभी तक 70 से ज्यादा लोग डायरिया और पीलिया की चपेट में आए हैं. कोट, सराहकड़, भरनांग ख्याह पंचायतों के 10 गांव बीमारी से प्रभावित हैं और लगातार मरीज सामने आ रहे हैं. मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग हमीरपुर भी अलर्ट हो गया है और मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए टीम फील्ड में भेजी गई हैं. 26 जून को यहां पर पहला मामला सामने आया था. जिसके बाद आप लगातार हमने बढ़ती जा रही हैं. गुरुवार शाम तक बीमारी के पीड़ितों की संख्या 70 बार पहुंच गई है, जबकि शुक्रवार को विभागीय टीम में फील्ड में लगातार स्क्रीनिंग कर रही हैं.
पेयजल योजना कराड़ा में 15 दिन में गैसियस क्लोरिनेशन प्रणाली शुरू करने के निर्देश:जिला मुख्यालय के निकटवर्ती क्षेत्र सराहकड़-कोट के कुछ गांवों में पीलिया फैलने के मामले में संज्ञान लेते हुए उपायुक्त हेमराज बैरवा ने शुक्रवार सुबह जलशक्ति विभाग, स्वास्थ्य विभाग और ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक के दौरान उपायुक्त ने जलशक्ति विभाग से पीलिया प्रभावित क्षेत्र के साथ-साथ जिला की अन्य पेयजल योजनाओं के जलस्रोतों की ताजा स्थिति की जानकारी भी ली. उपायुक्त ने जलशक्ति विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे जलस्रोतों में सही ढंग से ब्लीचिंग पाउडर डालने या क्लोरिनेशन के संबंध में फील्ड के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करें.
उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि पेयजल की सरफेस स्कीमों के जलस्रोतों में एक बार ब्लीचिंग पाउडर डालने के बाद इनमें दोबारा दूषित जल आने की आशंका बनी रहती है. इसलिए, फील्ड के कर्मचारियों को ब्लीचिंग पाउडर डालने की मात्रा और टाइमिंग की सही जानकारी होनी चाहिए. उन्होंने जलशक्ति विभाग को जिला की पेयजल योजनाओं में गैसियस क्लोरिनेशन की संभावनाएं तलाशने के निर्देश भी दिए. उन्होंने सराहकड़-कोट क्षेत्र की पेयजल योजना के लिए 15 दिन के भीतर गैसियस क्लोरिनेशन प्रणाली की व्यवस्था करने को कहा. उन्होंने जिला की अन्य पेयजल योजनाओं में भी गैसियस क्लोरिनेशन की संभावनाएं तलाशने और इस दिशा में त्वरित कदम उठाने के निर्देश दिए.
डीसी बोले लगातार की जा रही है स्क्रीनिंग: स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से ताजा स्थिति की जानकारी लेते हुए उपायुक्त ने प्रभावित क्षेत्र की आस-पास की पंचायतों में भी लोगों की स्क्रीनिंग करने तथा लोगों को पेयजल की स्वच्छता एवं जल जनित रोगों के प्रति जागरुकता अभियान चलाने के निर्देश दिए. उपायुक्त ने कहा कि इस अभियान में सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर्स के अलावा स्थानीय पंचायत जनप्रतिनिधियों का सहयोग भी लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि फील्ड में जल जनित रोगों से संबंधित दवाईयों एवं अन्य आवश्यक सामग्री तथा क्लोरिन की गोलियों की पर्याप्त आपूर्ति होनी चाहिए. इसके अलावा पेयजल की नियमित रूप से सैंपलिंग एवं टेस्टिंग सुनिश्चित की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सैंपलों की जांच कल्चर प्रणाली से भी होनी चाहिए, ताकि पानी के दूषित होने का सही पता लगाया जा सके.