बड़सर: उपमंडल बड़सर में स्वच्छता के लिए चलाए गए सभी अभियान फेल होते नजर आ रहे हैं. बाजारों का कूड़ा खुले में फेंका जा रहा है. लोगों के घरों का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है.
आलम ये हो चुका है कि बड़सर के कई क्षेत्रों में दुकानों के पीछे या फिर जंगलों में गंदगी के ढेर लगे हुए हैं. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार के स्वच्छता अभियान पर करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद भी लोग जागरूक नहीं हैं.
बड़सर में स्वच्छता अभियान को लेकर प्रशासन भी कोई खास रुचि नहीं ले रहा है और न ही इस मामले को लेकर कोई ठोस कदम उठा रहा है. उपमंडल बड़सर के हजारों घरों व दुकानों से रोजाना किवंटल के हिसाब से कूड़ा-कचरा निकलता है, लेकिन इस कचरे को ठिकाने लगाने के लिए कोई पर्याप्त साधन अभी तक लोगों को उपलब्ध नहीं करवा पाया है.
लोगों को मजबूरी में ये कचरा खुले में या तो दुकानों में या फिर खुले जंगलों में फेंकना पड़ रहा है. जिससे एक तरफ गंदगी का आलम बना हुआ है तो दूसरी तरफ खुले में फेंकी जा रही गंदगी पर्यावरण के साथ ही बीमारियों का कारण बन रही है. बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत डंपिंग साईट के लिए अलग से प्रवाधान किया जाता है लेकिन बाजारों व घरों की इस गंदगी को ठिकाने लगाने के लिए स्थानीय पंचायतें व प्रशासन डंपिंग साईट बनाने के लिए जगह ही निर्धारित नहीं कर पाई है.
वहीं, क्षेत्र की सड़कों पर लोगों के घरों का बहता गंदा पानी भी बीमारियों को न्योता दे रहा है. लोक निर्माण विभाग की सड़कों के किनारे बनी हुई निकासी नालियां बंद होने के चलते गंदे पानी से भरी पड़ी हुई है लेकिन न तो लोग और न ही विभाग इस समस्या को हल करने का बीड़ा उठाता है.
वहीं, इस संदर्भ में एसडीएम बड़सर प्रदीप कुमार ने बताया कि इस समस्या के बारे में बीडीओ बिझड़ी को चिट्ठी भेजी गई है. डंपिंग साईट के लिए भूमि का चयन किया जा रहा है.
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