हमीरपुरः चार संसदीय सीटों वाले छोटे राज्य हिमाचल में 19 मई को लोकसभा चुनाव होने हैं. शांत राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले हिमाचल में इस बार चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. दोनों ही पार्टियों कांग्रेस और भाजपा ने चारों सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. हमीरपुर में इस बार चुनावी जंग ठाकुर बनाम ठाकुर होने वाली है.
भाजपा की ओर से इस बार भी मौजूदा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर को टिकट दिया गया है. अनुराग ठाकुर यहां से तीन बार सांसद चुने जा चुके हैं और इस बार वो जीत का चौका लगाने उतरेंगे. वहीं, कांग्रेस ने हमीरपुर सीट से वरिष्ठ नेता राम लाल ठाकुर को मैदान में उतारा है.
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में प्रदेश के पांच जिले मंडी, कांगड़ा, बिलासपुर, ऊना और हमीरपुर के क्षेत्र आते हैं, वैसे तो यहां से कांग्रेस के मुकेश अग्निहोत्री, सुखविंद्र सुक्खू, रामलाल ठाकुर और बंबर ठाकुर जैसे कई दिग्गज नेता हैं, लेकिन काफी माथापच्ची के बाद इस सीट पर प्रत्याशी का नाम फाइनल हुआ. वहीं, पूर्व सांसद सुरेश चंदेल के कांग्रेस में जाने की अटकलें भी लगाई जाती रही.
बीजेपी का गढ़ है हमीरपुर
प्रदेश की चार संसदीय सीटों में से एक हमीरपुर लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ है. 1967 के बाद अब तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने इस सीट पर 9 बार जीत दर्ज की है. वहीं, वर्ष 1998 से ये सीट भाजपा के पास ही है. बिलासपुर से भाजपा के सुरेश चंदेल ने लगातार तीन बार चुनाव में जीत दर्ज की थी.
हमीरपुर सीट की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर एक रिपोर्ट. वर्ष 2007 से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के परिवार का इस सीट पर कब्जा रहा है. वर्ष 2007 में इस सीट पर भाजपा के प्रेम कुमार धूमल विजयी हुए थे. इसके बाद से यह सीट धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर के पास है. अनुराग ठाकुर इस सीट पर दूसरे ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन्होंने हैट्रिक लगाई है.
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हमीरपुर संसदीय सीट में कुल 17 विधानसभा सीटें शामिल हैं. वर्तमान समय में 17 विधानसभा सीटों में से भाजपा के पास कुल 10 और कांग्रेस के पास छह सीटें हैं. जबकि एक सीट पर निर्दलीय विधायक ने जीत दर्ज की है. अगर बात की जाए इस सीट पर विधानसभा क्षेत्रों की मौजूदा राजनीतिक समीकरणों की तो यहां ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है.
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र पांच जिलों के विधानसभा क्षेत्रों को जोड़कर बना है. इसमें धर्मपुर, भोरंज, सुजानपुर, हमीरपुर, नादौन, बड़सर, बिलासपुर, घुमारवीं, झंडूता, श्री नैनादेवी, ऊना, गगरेट, चिंतपूर्णी, हरोली, कुटलैहड़, देहरा और जसवां-परागपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.
बीते तीन लोकसभा चुनावों पर एक नजर
वर्ष पार्टी उम्मीदवार/अंतर
- 2014 भाजपा अनुराग ठाकुर/4,48,035
- 2009 भाजपा अनुराग ठाकुर/3,73,598
- 2004 भाजपा सुरेश चंदेल/3,13,243
इस बीच इस सीट पर दो बार उपचुनाव हुए पहली बार वर्ष 2007 में जब मौजूदा सांसद सुरेश चंदेल को लोकसभा से किन्हीं कारणों की वजह से सीट गवांनी पड़ी थी. इसके बाद उपचुनाव में प्रेम कुमार धूमल ने इस सीट से जीत हासिल की, लेकिन प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए और भाजपा की सरकार में उनके मुख्यमंत्री बनने से इस सीट पर दोबारा उपचुनाव हुआ और उनके पुत्र अनुराग ठाकुर ने उपचुनाव में जीत हासिल की.
15 लोकसभा चुनावों में हमीरपुर सीट की स्थिति
- 1967 प्रेम चंद वर्मा, कांग्रेस
- 1972 नारायण चंद पराशर, कांग्रेस
- 1977 ठाकुर रणजीत सिंह, जनता पार्टी
- 1980 नारायण चंद पराशर, कांग्रेस
- 1984 नारायण चंद पराशर, कांग्रेस
- 1989 प्रेम कुमार धूमल, भाजपा
- 1991 प्रेम कुमार धूमल, भाजपा
- 1996 मेजर जनरल विक्रम सिंह, कांग्रेस
- 1998 सुरेश चंदेल, भाजपा
- 1999 सुरेश चंदेल, भाजपा
- 2004 सुरेश चंदेल, भाजपा
- 2007 प्रेम कुमार धूमल, भाजपा
- 2008 अनुराग ठाकुर, भाजपा
- 2009 अनुराग ठाकुर, भाजपा
- 2014 अनुराग ठाकुर, भाजपा
मौजूदा स्थिति
हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक नरेंद्र ठाकुर का कहना है कि भाजपा सरकार ने पांच साल में अपने वादे पूरे किए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद अनुराग ठाकुर ने हर वादे को पूरा किया है और बड़ी-बड़ी योजनाएं हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के लिए लाई गई हैं.
वहीं, पूर्व कांग्रेसी विधायक कुलदीप पठानिया का कहना है कि यह बड़ी विडंबना है कि जिन बातों को लेकर भाजपा सत्ता में आई थी, उन पर अब बात ही नहीं हो रही. भ्रष्टाचार कालाधन और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को लेकर बड़ी बातें की गई थी, लेकिन पांच साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अयोध्या में जाने का समय भी नहीं लगा.
वरिष्ठ पत्रकार वासुदेव नंदन का कहना है कि साल 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस हमीरपुर संसदीय सीट में काफी आक्रामक दिखी थी. हालांकि देशभर में मोदी लहर थी, लेकिन हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस काफी आक्रामक थी, लेकिन इस बार परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं. वोटर भी पूरी तरह से खामोश है.
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