हमीरपुर: हिमाचल में परिवहन की रीढ़ समझी जाने वाली बस सेवाओं पर भी कोरोना का बुरा असर पड़ा है. लॉकडाउन ने इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की कमर तोड़ दी है. अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद अभी भी हालात सामान्य नहीं हुए हैं. हमीरपुर की अगर बात की जाए तो यहां पर ना तो ऑटो चलते हैं और ना ही इन दिनों बसों में अधिक लोग सफर करने के लिए घरों से निकल रहे हैं. इससे जिले में निजी और सरकारी बस चालकों की दिक्कतें बढ़ गई हैं.
लोकल बस रूट या यूं कहें कि शहरी क्षेत्र में चलने वाले इन निजी और सरकारी बसों के चालकों और परिचालकों की रोजी-रोटी पर भी संकट छा गया है. समय पर वेतन नहीं मिलने पर बस ऑपरेटर्स ने कमीशन के तौर पर काम कर रहे हैं.
कमीशन के आधार पर काम कर रहे
निजी बस के परिचालक रंजीत कहते हैं कि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद अभी तक हालात सुधरे नहीं हैं. बहुत कम सवारियां ही बसों में सफर कर रही हैं. पहले उन्हें वेतन मिलता था लेकिन अब जब सवारियां ही नहीं है तो कमीशन के आधार पर काम कर रहे हैं. एक दिन में ड्राइवर कंडक्टर पांच सौ तक की कमाई कर रहे हैं, जिसे दोनों आपस में बांट लेते हैं.
पांच से छह हजार तक सीमित हुई कमाई
जिला में हालात ऐसे हैं कि जो चालक और परिचालक महीने में 15 से 20 हजार कमाते थे. लेकिन लॉकडाउन में उनकी कमाई पांच से छह हजार रुपये महीने हो गई है. निजी क्षेत्र के लगभग एक हजार और सरकारी क्षेत्र के पांच सौ से अधिक चालक और परिचालक हैं. कोरोना महामाही की वजह से इनकी जिदंगी मुश्किल हो गई है.