हमीरपुर:जिलाहमीरपुर के भोरंज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा लगातार सात विधानसभा चुनावों में जीत का परचम लहराए हुए है. यहां पर अब तक के इतिहास में एक दफा हुए उपचुनाव में भाजपा ने ही बाजी मारी है. भोरंज विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को सात आम चुनाव और एक उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. यहां पर साल 1990 से 2017 तक भाजपा ने लगातार आठ दफा जीत हासिल की है. इन आठ जीत में सात जीत दिवंगत भाजपा नेता पूर्व शिक्षा मंत्री आईडी धीमान और उनके बेटे अनिल धीमान के नाम है. (Bhoranj Assembly constituency) (Voters in Bhoranj)
एक बार फिर से धीमान परिवार से ही डॉ. अनिल धीमान को भाजपा ने यहां पर प्रत्याशी बनाया है और सीटिंग विधायक कमलेश कुमारी का टिकट काट दिया है. साल 2017 में आईडी धीमान के विधायक रहते देहांत होने पर उनके बेटे को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा और जीत हासिल की. इसके बाद 2017 में भाजपा ने टिकट बदला और महिला नेत्री कमलेश कुमारी पर दांव चलते हुए फिर जीत का परचम लहराया है. अब बगावत पर नियंत्रण पाने के लिए भाजपा ने यहां पर पूर्व विधायक डॉ. अनिल धीमान को फिर चुनावी रण में उतारा है, लेकिन भाजपा से ही ताल्लुक रखने वाले पवन कुमार आजाद प्रत्याशी के रूप में नामांकन भर चुके हैं.
पवन के साथ ही वर्तमान विधायक कमलेश कुमारी का टिकट काटे जाने से उनके समर्थक भी यहां पर खासे नाराज चल रहे हैं और यह भी वर्तमान प्रत्याशी पूर्व विधायक अनिल धीमान के लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे. एससी वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के गुरु दिवंगत पूर्व शिक्षा मंत्री ने छह दफा लगातार जीत हासिल करने का रिकॉर्ड है. इस सीट पर पिछले तीन दशकों यानि 32 वर्षों से भाजपा का कब्जा है. इन 32 वर्षों में कांग्रेस को इस सीट पर लगातार सात चुनाव और एक उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस को यहां पर अंतिम दफा 1985 में धर्म सिंह ने जीत दिलाई थी. इस सीट पर 80,347 मतदाता वर्तमान में है, जिसमें 38,469 पुरुष और 40,300 महिला मतदाता और 1,544 पुरुष सर्विस वोटर और 34 महिला सर्विस वोटर भी शामिल हैं. (BJP Candidate from Bhoranj) (Himachal Assembly Election 2022)
जनसंघ के जमाने से बीजेपी की विचारधारा का रहा है दबदबा-इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों के 2022 के विधानसभा चुनावों में गुटबाजी बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. यहां पर कांग्रेस की गुटबाजी पहले से ही जगजाहिर थी, लेकिन इस बार नामांकन प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस के बागी मैदान में नहीं उतरे हैं. जबकि भाजपा के लिए स्थिति विकट हो गई है. एक तरफ सीटिंग विधायक कमलेश कुमारी का टिकट कटने से उनके समर्थक नाराज है. तो वहीं, दूसरी तरफ पवन कुमार ने नामांकन पत्र भरकर भाजपा की मुश्किलों को बढ़ा दिया है. जीत