रामपुर: शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में सेब के बागों में स्कैब रोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे बागवान चिंतित हैं. इसी कड़ी में उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया कि ये रोग ऐसे क्षेत्रों में होता है, जहां सूर्य की किरणें कम पड़ती है और सेब के बगीचों में स्प्रे सही ढंग से नहीं होता है.
सेब के बगीचों में तेजी से फैल रहा स्कैब रोग, बागवानों की बढ़ी चिंता - कृषि मंत्री
शिमला के ऊपरी क्षेत्रों में सेब के बागों में स्कैब रोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे बागवान चिंतित हैं. बता दें कि ये रोग सबसे पहले 1983 में पनपा था, जिसकी चपेट में शिमला जिला के सेब के बगीचे आए थे.
उद्यान विकास अधिकारी बलवीर चौहान ने बताया कि बागवानों को स्कैब रोग से बचने के लिए पतझड़ के समय यूरिया को 5% डालकर सेब के पेड़ व इसके तने के आस-पास स्प्रे करना चाहिए. वहीं, अगर इसका कोई भी उपाय नहीं किया गया तो, स्कैब के रोग का खतरा और भी बढ़ जाता है और पूरा बगीचा नष्ट हो सकता है.
बता दें कि प्रदेश में सबसे पहले स्कैब रोग 1983 में पनपा था, जिसकी चपेट में शिमला जिला के सेब के बगीचे आए थे. उस समय बागवानों ने सेब सरकार को बेंचे थे, लेकिन ये सेब सरकार के कुछ काम नहीं आए थे. वहीं, 1990 तक इस रोग पर काबू पा लिया गया था, लेकिन अब फिर से इस रोग से सेब के बाग ग्रस्त हो रहे हैं.