बिलासपुर: कई सालों से विलुप्त हुई गम्छा पहनने का ट्रेंड एक बार फिर शुरू हो रहा है. कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए लोगों को मास्क पहनने के लिए कहा जा रहा है. वहीं, लोग मास्क से ज्यादा गमछे का इस्तेमाल करते हुए नजर आ रहे हैं. कोरोना से लड़ाई के लिए यह गमछा सहायक साबित हो रहा है. मास्क के बदले लोग रंग बिरंगे, लाल, हरा, सफेद और केसरिया गमछा इस्तेमाल कर रहे है, जिसके कारण बाजार में इन गमछों की डिमांड भी बढ़ गई है.
हालांकि, कुछ समय पहले ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोगों से मास्क के बदले गमछा इस्तेमाल करने की बात कही थी. ऐसे में अब ज्यादातर लोगों के पास मास्क के बदले गमछा दिखाई देता है. हिमाचल के ग्रामीण परिवेश में सिर पर पगड़ी और गले में गमछा अपने आप में एक स्थाई परिधान है. वहीं, समय के साथ साथ गमछा पहनने का ट्रेंड खत्म हो रहा था. महज कुछ ही लोग गमछा पहने नजर आते थे, लेकिन आजकल ये ट्रेंड फिर से वापिसी कर रहा है.
बिलासपुर में काफी समय से गमछे का इस्तेमाल एक परंपरागत परिधान के तौर पर होता रहा है. पूजा पाठ से लेकर हर बड़े आयोजन में इसका इस्तेमाल होता है. आमतौर पर ग्रामीण इलाकों के बुजुर्ग अपने कंधे या सिर पर गमछा रखते थे. कोरोना वायरस के इस दौर में गमछा फैशन के साथ-साथ यहां के लोगों के लिए सुरक्षा कवच भी बन गया है.
यह हैं गमछे की फायदें