सोलन:भारतीय जनता पार्टी के सोलन में कार्यालय बनाने के लिए खरीदी जा रही जमीन में हुए धोखाधड़ी के मामले में बनाए गए दूसरे आरोपी मनीष कुमार ने स्वयं को इस मामले में पूरी तरह से निर्दोष करार दिया है.
सोलन में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि यह जमीन दीनानाथ की थी और वे उनके परिचित हैं, इस नाते दोनों पार्टियों की आपसी बातचीत उन्होंने करवाई थी, लेकिन इसके बाद पैसों के लेन देन को लेकर उन दोनों में क्या बातचीत हुई उससे उनका कोई भी लेना देना नहीं है.
मनीष कुमार ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में उनकी छवि को खराब करने के लिए उन्हें घसीटा जा रहा है. मनीष कुमार ने साफ शब्दों में कहा कि इस मामले में बीजेपी द्वारा एक समिति का गठन किया गया था, जिस समिति में लोगों और जमीन मालिक की बातचीत करवाई थी. इसके बाद जो भी लेनदेन वह आगामी बातचीत हुई इन दोनों पार्टियों के बीच में हुई, उन्हें नहीं पता.
कार्यकर्ता होने के नाते मामले में बना था गवाह
उन्होंने बताया कि बाद में पार्टी से उन्हें आदेश हुआ था कि इस मामले के कागजात व रजिस्ट्री के लिए बीजेपी कार्यकर्ता होने के नाते उन्हें गवाह बनाया जा रहा है, तो उन्होंने पार्टी कार्यकर्ता होने के नाते उस समय गवाही दे दी, लेकिन पैसे के लेन-देन में उनका कोई भी लेना देना नहीं है. उन्होंने कहा कि वो उस समय भी इस पूरे मामले के गवाह थे और आज भी गवाह हैं.
स्थानीय नेता मेरी छवि खराब करना चाहते हैं
पूर्व पार्षद मनीष ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि जो भी स्थानीय नेता इस पूरे प्रकरण में जुड़े हुए हैं. वह इस मामले में उनको घसीट कर और वर्तमान में उनकी पत्नी पार्षद और उनकी छवि खराब करना चाहते हैं. पूर्व पार्षद मनीष ने कहा कि उन्हें जमीन घोटाले के बारे में तब पता लगा जब उन्हें पुलिस थाना सोलन से सूचना दी गई.
उन्होंने कहा कि उससे पहले ना तो उन्हें इस बारे में किसी से जानकारी मिली थी और ना ही उन्हें इस लेन देन के बारे में पता था. उन्होंने कहा कि उन्होंने इस पूरे मामले में पहले हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी उसके बाद अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिन तक पुलिस को उन्हें गिरफ्तार न करने के आदेश दिए हैं.
पूर्व पार्षद मनीष सोपाल का कहना है कि बीजेपी जमीनी विवाद घोटाले में जो कोई भी नेता इससे जुड़ा है उसका नाम सबके सामने आना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस की जांच और सरकार भी अगर कोई जांच बिठाई जाती है तो उसके लिए भी तैयार है.
उन्होंने कहा कि मैं हमेशा से पार्टी का समर्थक रहा हूं और आगे भी रहूंगा. उन्होंने कहा कि इस मामले में मेरी भागीदारी सिर्फ इतनी है कि मैंने दिनानाथ जमीन के मालिक और पार्टी की बनाई गई समिति के सदस्यों को आपस में मिलवाया था.
घोटाला कहां हुआ कैसे हुआ मुझे नही मालूम
मनीष ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि पार्टी के कार्यालय के निर्माण के लिए मौजा शमलेच में केवल उन्होंने जमीन दिखाई थी. पार्टी ने वर्ष 2016 में इसके लिए तत्कालीन जिला अध्यक्ष के.एल. ठाकुर की अध्यक्षता में एक खरीद कमेटी का गठन किया था, वह खरीद कमेटी के सदस्य नहीं थे.
खरीद कमेटी ने ही जमीन का सौदा किया था इसके बाद ही पार्टी ने जमीन मालिक के खाते में अक्टूबर 2016 में 35 लाख रुपये जमा करवाए. वहीं, मार्च 2017 में 50 लाख रुपये के पेमेंट का भुगतान किया था.
मार्च 2017 में ही पार्टी व जमीन मालिक के बीच एक एग्रीमेंट साइन हुआ. स्थानीय नेताओं के कहने पर उन्हें इस मामले में गवाह बनाया गया. इसके बाद धारा-118 की अनुमति लेने की जिम्मेवारी खरीद कमेटी की थी. इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी. वे समय-समय पर कमेटी को सूचित करते रहे लेकिन उनकी बातों पर गौर नहीं किया गया.
धारा-118 की अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू हुई तो उसमें भूमि मालिक का लैंड लैस का एफिडेविट न लगाने की आपत्ति लग गई. वर्ष 2018 में मुझे पार्टी ने भूमि मालिक से लैंडलेस का एफिडेविट लेने को कहा जो कि मैंने 10 दिनों में ही लेकर तत्कालीन जिला अध्यक्ष को दे दिया और इस बारे में कमेटी के अन्य सदस्यों को भी सूचित कर दिया. लेकिन हैरानी की बात यह है कि कमेटी ने इस एफिडेविट को संबंधित कार्यालय में जमा ही नहीं करवाया.
पार्टी का शीर्ष नेतृत्व करें मामले की जांच
मनीष कुमार ने कहा कि जो कोई भी इस मामले में जुड़ा होगा और जिस किसी ने भी इस मामले में घोटाला किया होगा उसे खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व जेपी नड्डा और प्रदेश मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से भी इस बारे में जांच करवाने की अपील की है.
मनीष का कहना है कि 16 जुलाई को उन्हें पुलिस थाना से फोन आया तब पता चला कि भूमि मालिक ने पार्टी की जमीन किसी और को बेच दी है और 16 और 17 जुलाई को वे पुलिस की जांच में सहयोग देते रहे.
पूर्व पार्षद ने कहा कि बीजेपी जिलाध्यक्ष की शिकायत पर उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा कि वह पार्टी के कार्यकर्ता है. उन्होंने कहा कि जिला अध्यक्ष ने उनका पक्ष सुनना भी जरूरी नहीं समझा और कुछ स्थानीय नेताओं के कहने पर उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करवा दिया गया.
उन्होंने कहा कि पार्टी की जमीन के मामले में उन्हें फंसाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पुलिस के अलावा पार्टी स्तर पर भी जांच की जाए. यदि वे दोषी पाए जाते हैं या फिर कोई भी दोषी पाया जाता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए ताकि इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.
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