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कोविड-19 ट्रैकर: हिमाचल में 200 के पार पहुंची एक्टिव मरीजों की संख्या - हिमाचल कोविड ट्रैकर

हिमाचल में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या दो सौ के पार पहुंच गई है. वहीं, कोरोना संक्रमण के मामले 276 पहुंच गई है. कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा 93 मामले हमीरपुर में आएं हैं. इनमें 85 एक्टिव मामले हैं.

the number of corona positive case reached 201 in himachal
हिमाचल कोविड-19 ट्रैकर.

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Published : May 28, 2020, 11:03 AM IST

शिमला: सोलन जिले में कोरोना वायरस के तीन नए मामले सामने हैं. इन नये मामलों ने हिमाचल में एक्टिव मरीजों का आंकड़ा 201 के पार पहुंचा दिया है. प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 276 पहुंच गई है. अबतक प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण से 66 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 5 लोगों की मौत हुई है और 4 लोग प्रदेश से बाहर जा चुके हैं.

दिल्ली से लौटे सोलन जिले के रामशहर निवासी मां-बेटे को बद्दी में क्वारंटाइन किया गया था. वहीं, तीसरा व्यक्ति बीबीएन के भूड का निवासी है. इन लोगों के सैंपल जांच के लिए सीआरआई कसौली भेजे गए थे, जहां यह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

प्रदेश के इन जिलों में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित

प्रदेश के पांच जिले ऐसे हैं जहां सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित हैं. पहले नंबर हमीरपुर का है, यहां 93 मामले हैं इनमें 85 केस एक्टिव केस हैं. सात लोग ठीक हुए हैं और एक संक्रमित की मौत हुई है. दूसरे नंबर पर कांगड़ा जिला है, यहां 65 कोरोना संक्रमित हैं. इनमें 46 एक्टिव केस और 18 लोग कोरोना संक्रमण ठीक हो चुके हैं, जबकि 1 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. तीसरे नंबर पर ऊना जिला है, यहां 15 एक्टिव हैं और 17 लोग कोरोना वायरस से ठीक हो चुके हैं. वहीं, 23 कोरोना संक्रमितों के साथ सोलन चौते नंबर पर हैं. यहां 14 एक्टिव केस हैं, पांच मरीज ठीक हो चुके हैं और चार प्रदेश से बाहर जा चुके हैं. पांचवां नंबर बिलासपुर का आता है. यहां अबतक कुल 18 मामले सामने आ चुके हैं, इनमें 14 एक्टिव हैं और चार ठीक हो कर घर लौट चुके हैं.

बाहरी राज्यों से प्रदेश लौट चुके हैं इतने लोग

हिमाचल में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले रेड जोन से लौट रहे लोगों की वजह से बढ़ रहे हैं. स्पेशल ट्रेन के जरिए बाहरी राज्यों से करीब पांच हजार लोग प्रदेश लौट चुके हैं. बुधवार को दिल्ली से 350 लोग ऊना लौटे थे. थर्मल स्क्रीनिंग और जरूरी जांच के बाद सभी को एचआरटीसी की बसों के जरिए उनके जिलों में बने क्वारंटाइन सेंटर्स में भेज दिया गया था.

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