शिमला: दिल की बीमारी इन दिनों आम हो गई है, लेकिन इस बीमारी का खर्च काफी महंगा है. लोग अपने इलाज के लिए देश के नामी गिरामी अस्पतालों का रुख करते हैं. वहीं, हिमाचल का इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज यानी आईजीएमसी प्राइवेट अस्पतालों के मुकाबले काफी कम खर्च में लोगों का इलाज कर रहा है. इतना ही नहीं यहां होने वाली ओपन सर्जरी का सक्सेस रेट करीब 98 फीसदी है.
आईजीएमसी के कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग की बात करें तो यहां 1 सितंबर 2020 से 29 सितंबर 2021 तक 105 ओपन हार्ट सर्जरी हुई है. जबकि, कोरोना से पहले यह आंकड़ा 250 से 300 तक था. वहीं, जर्नल सर्जरी जिसमें नसों को खोलना व उसे ठीक करना है, ऐसे 240 ऑपरेशन हुए हैं. कोरोना से पहले अस्पताल में 350 से 400 लोगों की जर्नल सर्जरी हुई थी. इन ऑपरेशन की सफलता दर 97 से 98 फीसदी है.
आईजीएमसी सीटीवीएस विभाग के एचओडी डॉ. सुधीर मेहता ने का कहना है कि ओपीडी में रोजाना 30 से 40 मरीज आ रहे हैं, जिनका जांच के बाद इलाज किया जा रहा है और जरूरत पड़ने पर ऑपरेशन भी किया जा रहा है. डॉक्टर मेहता बताते हैं कि अस्पताल में वैसे तो सभी ऑपरेशन किए जा रहे हैं, लेकिन कई बार छोटे बच्चे आ जाते हैं. जिनका ऑपरेशन करना यहां संभव नहीं हो पाता. इसलिए उन्हें फौरन पीजीआई चंडीगढ़ भेजना पड़ता है. आईजीएमसी में दो तीन मामले ऐसे आते हैं, जिनमें तुरंत ऑपरेशन करना पड़ता है और ऑपरेशन सफल भी रहा है.
डॉ. मेहता बताते हैं कि वर्तमान में बदलती लाइफ स्टाइल भी हार्ट की बीमारियों का कारण बनता जा रही है. पैदल ना चलने के कारण भी बहुत सी बीमारियां पैदा हो रही हैं जिसमें हार्ट की बीमारी मुख्य है. आईजीएमसी में प्रतिवर्ष 300 के लगभग मरीजों का सफल बायपास ओपन हार्ट सर्जरी सर्जरी हो रही है. इसका सफल रेट 98 फीसदी है.