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New Sports Policy of Himachal: हिमाचल में आने वाली है चुनाव की बेला, नई खेल नीति पर शुरू हुआ सियासी खेला

हिमाचल प्रदेश में नई खेल नीति (new sports policy) को जयराम कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. नई खेल नीति में ओलंपिक या पैरालंपिक में पदक विजेताओं के लिए इनामी राशि बढ़ाई है. सरकार ने इस खेल नीति पर व्यापाक स्तर पर वैज्ञानिक पहलूओं के साथ खेल के हर क्षेत्र पर ध्यान दिया है. वहीं, पूर्व खेल मंत्री रामलाल ठाकुर (FORMER SPORT MINISTER RAMLAL THAKUR) ने खेल नीति को शिगूफा करार देते हुए कहा है कि सरकार को 4 साल बाद खेल नीति की याद तब आई है जब चुनाव आने वाले हैं. ये लोगों को भ्रमित करने के लिए बनाई गई नीति है.

new sports policy in himachal
हिमाचल की नई खेल नीति.

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Published : Jan 22, 2022, 9:56 PM IST

शिमला: बीते दिनों जयराम कैबिनेट ने नई खेल नीति (new sports policy) को मंजूरी दे दी. आगामी बजट सत्र में इस खेल नीति पर सदन में सियासी संग्राम (politics on new sports policy in himachal pradesh) भी छिड़ना तय है. क्योंकि उससे पहले ही सत्ता और विपक्ष इस नीति को आमने-सामने हैं. कांग्रेस तो इस नीति को लेकर सरकार पर सवाल खड़े कर रही है.

क्या कहते हैं खेल मंत्री- खेल मंत्री राकेश पठानिया (rakesh pathania on new sports policy) ने बताया कि नई खेल नीति में ओलंपिक या पैरालंपिक में पदक विजेताओं के लिए इनामी राशि बढ़ाई है. सरकार ने इस खेल नीति पर व्यापाक स्तर पर वैज्ञानिक पहलूओं के साथ खेल के हर क्षेत्र पर ध्यान दिया है. खेल और खिलाड़ी के विकास के लिए ट्रेनिंग से लेकर कोचिंग, सुविधाओं से लेकर आधारभूत ढांचे को मजबूत करने तक का ध्यान दिया गया है.

क्या कहता है विपक्ष ?- पूर्व खेल मंत्री रामलाल ठाकुर ने खेल नीति को शिगूफा करार देते हुए कहा है कि सरकार को 4 साल बाद खेल नीति की याद तब आई है जब चुनाव आने वाले हैं. ये लोगों को भ्रमित करने के लिए बनाई गई नीति है. रामलाल ठाकुर ने कहा कि उनके खेल मंत्री होते हुए जो नीति बनाई थी उसे केंद्र तक ने सराहा था, लेकिन नई खेल नीति में पदक लाने पर में इनाम की घोषणा तो कर दी है, लेकिन प्रदेश के युवाओं को पदक लाने के लायक बनाने के लिए कुछ नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि अब सरकार जाने वाली है तो भ्रमित करने के लिए खेल नीति लाई गई है. खेल और खिलाड़ियों के लिए जो कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए वो नहीं चलाए जा रहे हैं.

नई खेल नीति पर शुरू हुई सियासत.

नई खेल नीति- नई खेल नीति के तहत ओलंपिक, शीत ओलंपिक, पैरालंपिक खेलों में गोल्ड जीतने पर तीन करोड़, सिल्वर पर दो करोड़ और कांस्य पदक विजेता को एक करोड़ रुपये मिलेंगे. पिछली खेल नीति के मुकाबले इस इनामी राशि को दोगुना किया गया है. इसके अलावा ओलंपिक जैसी स्पर्धाओं में हिस्सा लेने पर पहले 1 लाख रुपये की इनामी राशि दी जाती थी जिसे बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया गया है. खिलाड़ी के घायल होने पर एक लाख का बीमा कवर दिया जाएगा. इसी तरह एशियन गेम्स से लेकर कॉमनवेल्थ गेम्स में भी इनामी राशि बढ़ाई गई है.

इसके अलावा इस नीति में खेल और खिलाड़ियों के विकास से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए हैं. खेल के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर खिलाड़ियों के लिए स्पेशल ट्रेनिंग की व्यवस्था तक की बात कही गई है. सरकार के मुताबिक नई नीति से खेल संघों को मजूबत करने के साथ-साथ खिलाड़ियों को मूलभूत सुविधाओं के अलावा साइंटिफिक ट्रेनिंग पर जोर दिया जाएगा. खिलाड़ियों का प्रदर्शन और मनोबल ऊंचा करने के लिए विश्व स्तरीय ट्रेनिंग के साथ पुरस्कार भी दिए जाएंगे. खेल नीति को सरकारी के साथ निजी क्षेत्र की साझेदारी के साथ आगे बढ़ाया जाएगा.

हिमाचल की नई खेल नीति.

नई खेल नीति के कुछ अहम बिंदु-

  • खेलों का प्रशिक्षण देने के लिए राज्य में एक खेल संस्थान बनाया जाएगा. जहां प्रशिक्षण से लेकर दक्षता बढ़ाने के लिए सेमिनार और सर्टिफिकेट कोर्स भी होंगे. राज्य खेल संस्थान (state sports institute) का संगठनात्मक ढांचा कैसा होगा, इस फंडिग, कार्यप्रणाली आदि को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा एक विशेष कमेटी गठित की जाएगी.
  • खेल प्रशिक्षण के आधुनिकीकरण के लिए खेल विज्ञान सुविधाओं की स्थापना.
  • संभावित आधारित प्रशिक्षणों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्राथमिकता वाले खेलों में जिला स्तर पर खेल अकादमियों की स्थापना.
  • राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से पहले अल्पकालिक कोचिंग शिविरों और उच्च प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों और उच्च प्राथमिकता वाले विषयों के लिए दीर्घकालिक कोचिंग शिविरों का प्रावधान.
  • भौगोलिक परिस्थितियों का फायदा उठाते हुए विंटर स्पोर्ट्स (Winter Sports), एडवेंचर स्पोर्ट्स (adventure sports) और वाटर स्पोर्ट्स (water sports) के बुनियदी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करना.
  • ग्राम पंचायत से लेकर शहरी निकाय और ब्लॉक स्तर पर खेल के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करना.
  • PPP मोड पर विकसित किया जाएगा खेल के लिए आधारभूत ढांचा.
  • मॉडर्न तकनीक से आधुनिक सुविधाओं से लैस स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स बनाने पर ध्यान केंद्रित

पहली बार मिलेंगी ये सुविधाएं

  • ओलंपिक, एशियन और कॉमनवेल्थ के पदक विजेताओं को मिलेगी पेंशन.
  • अर्जुन अवार्ड, ध्यानचंद अवार्ड और खेल रत्न प्राप्त अवार्डियों को मासिक वेतन.
  • मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल का गठन किया जाएगा.
  • गांवों से शहरों तक नए स्टेडियम बनाए जाएंगे, स्पोर्ट्स ट्रेनिंग डेस्टिनेशन बनाने का प्रस्ताव.
  • एथलीट को घायल होने पर एक लाख का बीमा कवर.
  • स्कूलों में फिजिकल एजुकेशन और खेलों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा.
  • दिव्यांग खिलाडि़यों के लिए साहसिक खेल किए जाएंगे शामिल.
    हिमाचल की नई खेल नीति.

इससे पहले की खेल नीति- इससे पहले साल 2001 में तत्कालीन धूमल सरकार खेल नीति लाई थी. जिसके तहत खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को गांव, ब्लॉक, जिले और स्टेट लेवल पर एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन में बढ़ावा देने पर बल दिया गया था. इसके अलावा प्रदेश में पर्यटन की दृष्टि से भी खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने की बात कही गई थी. इसके अलावा यूथ क्लब स्पोर्ट्स क्लब और पंचायती राज की भागीदारी से भी प्रदेश में जमीनी स्तर पर खेलों की परंपरा को और बढ़ावा देने पर जोर दिया गया था.

खेल मैदान बनाने से लेकर जिला मुख्यालयों पर आउटडोर स्पोर्ट्स फैसिलिटी गेम जैसे हॉकी, फुटबॉल, एथलेटिक्स, कबड्डी और बास्केटबॉल के साथ इनडोर गेम्स फैसिलिटी जैसे टेबल टेनिस, बैडमिंटन और जिम को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया था. इस नीति के तहत प्रत्येक जिले में दो से तीन खेलों को बढ़ावा देने की बात कही गई थी. खेलों से जुड़ा सामान जिला स्पोर्ट्स अधिकारी उपलब्ध करवाएंगे.

खेलों में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्पोर्ट्स एकेडमी के गठन की बात भी कही गई. ताकि खिलाड़ियों को को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता के साथ मैदान में उतारा जा सके. इसके अलावा खिलाड़ियों के लिए इनामी राशि के साथ-साथ प्रोत्साहन राशि का भी प्रावधान था.

क्यों पड़ी नई खेल नीति की जरूरत- सरकार के मुताबिक लंबे वक्त से प्रदेश की खेल नीति-2001 की समीक्षा की जरूरत थी क्योंकि राष्ट्रीय स्तर से लेकर पड़ोसी राज्यों ने खेल नीति की समीक्षा की, जिसकी बदौलत खेल के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव दिखे. जिसे देखते हुए नई खेल नीति का मौसादा तैयार किया गया.

ईटीवी भारत के सवाल- हर सरकार अपनी तरह से खेल नीति बनाती है. हर कोई वक्त के साथ चलने और बेहतर खेल, खिलाड़ियों के लिए नीति बनाने का दावा करता है. खेल और खिलाड़ियों के भविष्य के लिए भी कई घोषणाएं या प्रावधान खेल नीतियों में होते हैं. हर नीति कागज़ों पर बेहतरीन नजर आती है, लेकिन सवाल है कि...

  1. क्या खेल और खिलाड़ियों के हालात सिर्फ खेल नीति बनाने भर से सुधर जाएंगे ? क्योंकि ऐसी नीतियां तो हर सरकार बनाती रही है ?
  2. खेल नीतियां जितनी अच्छी कागज पर बनती है, धरातल तक पहुंचते-पहुंचते क्यों हांफने लगती है ?
  3. खेल नीति की समीक्षा तो होती है लेकिन ये समीक्षा कब होगी कि जितने प्रावधान किए गए उनमें से कितने हकीकत में तब्दील हुए ?
  4. ये समीक्षा कब हुई कि जिस खेल नीति पर वाहवाही लूट रहे हैं, उसकी बदौलत कितने इंटरनेशनल या ओलंपिक मेडल आए, कितने खिलाड़ियों को फायदा हुआ और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर सके ?
  5. नई खेल नीति बनाने से पहले पुरानी खेल नीति में झांके कि उसके कितने बिंदु फाइल से निकलकर खिलाड़ियों को फायदा पहुंचाने वाले साबित हुए ?
  6. कितने स्टेडियम, मैदान बने या मरम्मत किए गए, खेल नीति के दौरान हालात बदले या बिगड़े ?

ये सवाल इसलिये क्योंकि हर सरकार कागजों में तो शानदार नीति बनाती है, लेकिन धरातल पर वो हकीकत से कोसों दूर नजर आती है. इसलिये सिर्फ इनामों की घोषणा या इनाम की रकम बढ़ाने से कुछ हासिल नहीं होगा. ऐसा ढांचा तैयार करना होगा कि हर खिलाड़ी कुछ हासिल करने लायक बन सके.

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