शिमला:पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश इन दिनों जहरीली शराब के कारण 7 लोगों की जान जाने और उसके बाद सरकार की नशा माफिया पर सख्ती को लेकर चर्चा में है. जहरीली शराब का सेवन करने से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिले में सात लोग काल का ग्रास बने थे. उसके बाद जनता के आक्रोश को देखते हुए सरकार ने अवैध शराब का धंधा करने वालों पर लगातार एक्शन लिया.
नशा तस्करों को मृत्यु दंड: यही नहीं कैबिनेट बैठक में नशे के खिलाफ (Mandi Poisonous Liquor Case) नई नीति का भी ऐलान किया गया. हिमाचल में पहली बार नशे के खिलाफ नीति बन रही है. यह पहली बार नहीं है जब हिमाचल प्रदेश नशे के कारण सुर्खियों में आया है. पूर्व में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट नशा तस्करों को मृत्यु दंड देने के लिए कानून बनाने की बात कह चुका है. यही नहीं (Drugs in Himachal) अदालत ने नशे के खिलाफ निरंतर राज्य सरकार को कई सख्त आदेश पारित किए हैं, लेकिन पर्दे के पीछे नशा तस्कर भी रूप बदल-बदल कर सक्रिय रहे.
हिमाचल हाईकोर्ट भी कर चुका है टिप्पणी: यही कारण है कि लंबे अरसे से अवैध शराब का धंधा चलता रहा और सरकार तब जागी जब 7 लोग असमय जहरीली शराब के कारण काल का शिकार हो गए. हिमाचल में नशे के बढ़ते (Alcohol consumption in Himachal) जाल को देखते हुए पूर्व में हाईकोर्ट यह टिप्पणी कर चुका है कि देवभूमि को उड़ता पंजाब बनने से रोकने के लिए सरकार को सख्ती करनी होगी. हाईकोर्ट ने भी चिंता जताई थी कि नशा तस्कर (Himachal high court on Drugs) अब स्कूलों तक पहुंच गए हैं. यहां समझते हैं कि आखिर हिमाचल में नशे का प्रभाव क्यों इतना बढ़ चुका है और कैसे स्कूली बच्चे तक इसकी चपेट में आए हैं.
छह साल पहले अगस्त महीने की बात है. राज्य में बढ़ती नशाखोरी पर चिंतित हिमाचल हाईकोर्ट ने 18 अगस्त 2016 को निर्देश दिया कि केंद्र सरकार 90 दिन के भीतर नशा तस्करी करने वालों को मृत्यु दंड का प्रावधान (Policy against drugs in Himachal) करे. उस समय हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की अगुवाई वाली खंडपीठ ने केंद्र सरकार को यदि निर्देश दिए थे. तब केंद्रीय वित्त व राजस्व मंत्रालय के सचिवों को आदेश जारी किए गए थे. खंडपीठ ने यह भी कहा था कि नशे का कारोबार बड़े अपराधियों के गिरोह कर रहे हैं.
आईजीएमसी अस्पताल का डराने वाला सर्वे: हर स्तर पर यह गिरोह सक्रिय हैं. ऐसे अपराधियों के लिए उनके जुर्म के हिसाब से सजा देने के समय आ गया है. यदि ऐसा नहीं किया गया तो भारतीय समाज में अशांति फैलने का खतरा है. यही नहीं तब अदालत ने डीजीपी को कई निर्देश दिए थे. साथ ही हाईकोर्ट ने तब आईजीएमसी अस्पताल के उस सर्वे पर भी चिंता जताई थी जिसके मुताबिक प्रदेश के 40 फीसदी युवा नशे के शिकंजे में फंस गए हैं. बाद में 2018 में पंजाब की कांग्रेस सरकार ने भी नशा तस्करों को फांसी दिए जाने की मांग की थी.
इसी तरह चार साल पहले की बात है. वर्ष 2018 में हिमाचल में एक घटना हुई. सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. वाईएस परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री के कैंपस में स्थित एक स्कूल के छात्रों द्वारा ड्रग्स लिए जाने की खबर पर हाईकोर्ट ने तब कड़ा संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट ने जिला न्यायाधीश सोलन को आदेश जारी किए थे कि वो स्कूल का निरीक्षण करें.
उस समय हाईकोर्ट में दो युवाओं की तरफ से स्कूल में नशे के सेवन की खबर पर याचिका दाखिल की गई थी. स्कूल में नर्सरी से 12वीं तक छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं. याचिका में आरोप लगाया गया था. कि विद्यालय में छात्र और छात्राएं तंबाकू व शराब का सेवन करते हुए देखे जा सकते हैं. यही नहीं वह लोग भांग व हशीश जैसी ड्रग्स का नशा करते हैं. स्कूल में पढऩे वाले इस तरह के नशेड़ी बच्चे अन्य बच्चों को यातनाएं देते हैं. इससे साबित होता है कि नशा स्कूलों के कैंपस तक पहुंच गया है.
प्रदेश में कोई भी जिला अछूता नहीं:स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र चिट्टे का सेवन कर रहे हैं. प्रदेश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां चिट्टे की बरामदगी न हो. खासकर, सीमांत जिलों कांगड़ा, ऊना व उसके साथ लगते इलाकों में चिट्टे का प्रकोप अधिक है. पुलिस के अनुसार हिमाचल में विदेश से भी नशा तस्करी होती है. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में तैयार किए गए नशीले पदार्थ भारत में तस्करी कर पहुचाए जाते हैं.
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भारत में हेरोइन का नशा इन्हीं तीन देशों से आ रहा है. चिट्टा भी हेरोइन का ही रूप है. वहां से यह क्रॉस बॉर्डर स्मगलिंग के जरिए दुबई, नेपाल के रास्ते भारत पहुंचता है. हिमाचल में भी काफी मात्रा में हेरोइन और चिट्टा पकड़ा जा रहा है. चिट्टे के कारण कई युवाओं की जान जा चुकी है. राजधानी शिमला के उपनगर संजौली में तीन युवाओं की मौत चिट्टे के सेवन से हुई है.
आंकड़ों पर एक नजर:एनडीपीएस एक्ट के तहत वर्ष 2014 में 644 मामले सामने आए थे. वहीं, 2015 में ये आंकड़ा थोड़ा कम हुआ. उस साल 622 मामले आए. फिर 2016 में उछाल आया और पुलिस ने 929 मामले दर्ज किए. वर्ष 2017 में ये आंकड़ा 1010 हो गया और 2018 में 1342 मामलों तक पहुंच गया. वर्ष 2019 में ये आंकड़ा 1400 से अधिक हो गया था. 2020 में कुल 1538 केस दर्ज किए गए. 2021 में यह आंकड़ा 1300 से अधिक हो गया है. पिछले साल फरवरी में कुल्लू पुलिस ने 30 करोड़ रुपए की कीमत के नशीले पदार्थ पकड़े हैं. हिमाचल में एक दशक में नशा तस्करी से जुड़े साढ़े छह हजार मामले सामने आए हैं.