शिमला:जीवन में कई बार अजब संयोग घटित होते हैं. मंगलवार को न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने हिमाचल हाई कोर्ट के न्यायाधीश की शपथ ली. एक समय ऐसा था जब सुशील कुकरेजा ने छात्र जीवन में एमबीबीएस में दाखिला न मिलने पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. अब वे उसी हाई कोर्ट में न्यायाधीश हैं. सुशील कुकरेजा छात्र जीवन में डॉक्टर बनने की इच्छा रखते थे. उन्होंने वर्ष 1984 में प्री मेडिकल टैस्ट यानी पीएमटी की परीक्षा पास की थी. तब उनके 232 अंक आए थे. पीएमटी परीक्षा हिमाचल यूनिवर्सिटी आयोजित करती थी. उस दौरान 232 अंक हासिल करने के बावजूद सुशील कुकरेजा को एमबीबीएस में दाखिला नहीं मिला तथा 223 अंक हासिल करने वाले को प्रवेश दिया गया.
हिमाचल यूनिवर्सिटी के इस (Story of Justice Sushil Kukreja) फैसले को सुशील कुकरेजा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उस याचिका पर फैसला 1995 में आया. सुशील कुकरेजा ने तब कानून की पढ़ाई शुरू कर दी थी और फैसले आने के वक्त वे वकालत के पेशे में आ गए थे. वहीं, एक दिलचस्प तथ्य ये है कि सुशील कुकरेजा ने छात्र जीवन में एमबीबीएस में दाखिला न मिलने पर हाई कोर्ट में जो याचिका दाखिल की थी, उसका फैसला आने में एक दशक से अधिक समय लगा.