शिमला:हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि 2022 (Navratri 2022) का प्रारंभ होता है. नवरात्रि के इस समय में 9 दिनों के लिए मां दुर्गा को अपने घर में स्थापित किया जाता है. मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योति रखी जाती है. इस दौरान लोग मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा करते हैं. नवरात्रि के इस पर्व (Navratri 2022 Date) के दौरान 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है.
हाथी पर सवार होकर आएंगी मां: इस साल मां नवरात्रि में हाथी की सवारी पर सवार होकर आएंगी. माना जाता है कि जब मां हाथी पर सवार होकर आती हैं तो बारिश अच्छी होती है. मध्यप्रदेश के पंडित शिवरतन जोशी ने बताया कि मां इस बार नवरात्रि में हाथी की सवारी पर सवार होकर आएंगी. आने वाला साल यानी 2023 में देश में अच्छी बरसात होगी. उन्होंने बताया कि कोई बड़ा रोग नहीं फैलेगा. पंडित शिवरतन जोशी के मुताबिक आने वाला नया साल देश के लिए काफी सुखद रहेगा. इस बार नवरात्रि का त्योहार (Shardiya Navratri 2022) पूरे 9 दिन तक रहेगा.
इस दिन इस पर सवार होकर आती हैं मां:पंडित शिव रतन जोशी ने बताया मां नवरात्रि में अलग-अलग दिनों में सवार होकर आती है. यदि नवरात्र रविवार या सोमवार से प्रारंभ होते हैं तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है. शनिवार या मंगलवार को घोड़े पर, गुरुवार या शुक्रवार को डोला पर सवारी करके आती है. बुधवार को शुरू होने पर मां दुर्गा नौका यानि नाव पर सवार होकर आती हैं
26 सितंबर को नवरात्रि का पहला दिन: इस बार नवरात्रि का त्योहार 26 सितंबर, सोमवार से शुरू होगा.नवरात्रि के पहले दिन में घटस्थापना की जाती है. वहीं इस बार 9 दिनों की नवरात्रि होगी. 2 अक्टूबर को महासप्तमी, 3 को महाष्टमी, 4 को महानवमी और 5 अक्टूबर को विजया दशमी यानि दशहरे का त्योहार मनाया जाएगा.
ये रहेगा कलश स्थापना का समय:कलश स्थापन सोमवार को प्रतिपदा तिथि का आरम्भ सूर्योदय से लगभग ढाई घंटे पहले हो जाएगा. उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल योग में सूर्योदय होगा. सुबह 07:03 बजे के बाद हस्त नक्षत्र लगेगा. कलश स्थापना के लिये उत्तरा फाल्गुनी और हस्त दोनों ही नक्षत्र अति उत्तम माने जाते हैं. इस प्रकार सुबह 06:02 से लेकर दोपहर बाद तक कलश स्थापना शुभकारी रहेगा.
कलश स्थापना के लिए पूजन सामग्री:कलश स्थापना के लिए 7 तरह का अनाज, मिट्टी का बर्तन, पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, लाल कपड़ा और फूलों की जरूरत (Navratri 2022 Kalash sthapana samagri list) होती है.
इन सात दिन में बनेंगे ये योग:27 सितंबर मंगलवार को (द्विपुष्कर योग) 29 सितंबर, गुरुवार को (रवि योग) 30 सितंबर, शुक्रवार को (रवि योग) 01 अक्टूबर, शनिवार को (रवि योग) 02 अक्टूबर, रविवार को (सर्वार्थसिद्धि योग) 03 अक्टूबर, सोमवार को (रवि योग और जय योग) 04 अक्टूबर, मंगलवार को रवि योग रहेगा.
मां के ये हैं शक्तिपीठ :1. मणिकर्णिका घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, 2. माता ललिता देवी शक्तिपीठ, प्रयागराज, 3. रामगिरी, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश, 4. वृंदावन में उमा शक्तिपीठ (कात्यायनी शक्तिपीठ). 5. देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर, 6. हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ, मध्य प्रदेश, 7. शोणदेव नर्मता शक्तिपीठ, अमरकंटक, मध्यप्रदेश, 8. नैना देवी मंदिर, बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश,9. ज्वाला जी शक्तिपीठ, कांगड़ा, हिमाचल, 10. त्रिपुरमालिनी माता शक्तिपीठ, जालंधर, पंजाब, 11. महामाया शक्तिपीठ, अमरनाथ के पहलगांव, कश्मीर, 12. माता सावित्री का शक्तिपीठ, कुरुक्षेत्र, हरियाणा, 13. मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर, कुरुक्षेत्र, हरियाणा, 14. मणिबंध शक्तिपीठ, पुष्कर में, 15. बिरात, मां अंबिका का शक्तिपीठ राजस्थान, 16. अंबाजी मंदिर शक्तिपीठ- गुजरात, 17. मां चंद्रभागा शक्तिपीठ जो गुजरात के जूनागढ़ में स्थित है.
मां नैना देवी मंदिर हिमाचल 18. माता के भ्रामरी स्वरूप का शक्तिपीठ, महाराष्ट्र, 19. माताबाढ़ी पर्वत शिखर शक्तिपीठ, त्रिपुरा, 20.देवी कपालिनी का मंदिर, पूर्व मेदिनीपुर जिला, पश्चिम बंगाल, 21. माता देवी कुमारी शक्तिपीठ, रत्नावली, बंगाल, 22- माता विमला का शक्तिपीठ, मुर्शीदाबाद, बंगाल, 23- भ्रामरी देवी शक्तिपीठ जलपाइगुड़ी, बंगाल, 24. बहुला देवी शक्तिपीठ- वर्धमान, बंगाल, 25. मंगल चंद्रिका माता शक्तिपीठ, वर्धमान, बंगाल, 26. मां महिषमर्दिनी का शक्तिपीठ, वक्रेश्वर, पश्चिम बंगाल, 27. नलहाटी शक्तिपीठ, बीरभूम, बंगाल, 28. फुल्लारा देवी शक्तिपीठ, अट्टहास, पश्चिम बंगाल, 29. नंदीपुर शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल, 30. युगाधा शक्तिपीठ- वर्धमान, बंगाल,31. कलिका देवी शक्तिपीठ, बंगाल, 32. कांची देवगर्भ शक्तिपीठ, कांची, पश्चिम बंगाल, 33. भद्रकाली शक्तिपीठ, तमिलनाडु 34. शुचि शक्तिपीठ, कन्याकुमारी, तमिलनाडु, 35. विमला देवी शक्तिपीठ, उत्कल, ओडिशा, 36. सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ जो आंध्र प्रदेश में स्थित है.
37. श्रीशैलम शक्तिपीठ, कुर्नूर, आंध्र प्रदेश, 38. कर्नाट शक्तिपीठ, कर्नाटक, 39. कामाख्या शक्तपीठ, गुवाहाटी, असम, 40. मिथिला शक्तिपीठ, - भारत नेपाल सीमा, 41. चट्टल भवानी शक्तिपीठ, बांग्लादेश, 42. सुगंधा शक्तिपीठ, बांग्लादेश, 43. जयंती शक्तिपीठ, बांग्लादेश, 44. श्रीशैल महालक्ष्मी, बांग्लादेश, 45. यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ, बांग्लादेश, 46. इन्द्राक्षी शक्तिपीठ, श्रीलंका, 47. गुहेश्वरी शक्तिपीठ, नेपाल, 48. आद्या शक्तिपीठ, नेपाल, 49. दंतकाली शक्तिपीठ- नेपाल, 50. मनसा शक्तिपीठ, तिब्बत, 51. हिंगुला शक्तिपीठ जो पाकिस्तान में स्थित है.
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