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कोरोना और क्राइम: 2020 के लॉकडाउन में 'सुस्त' थे चोर, लेकिन मर्डर के आंकड़ों में उछाल

शांत स्वभाव और खूबसूरत वादियों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध देवभूमि हिमाचल के क्राइम ट्रेंड में बदलाव देखा जा रहा है. प्रदेश में हत्या के मामलों में आश्चर्यजनक तौर पर बढ़ोतरी हुई है. वहीं, दुष्कर्म के मामलों में भी इजाफा देखा जा रहा है. कोरोना के इस दौर में अपराधियों ने नए तरीके तलाशें हैं. मनोवैज्ञानिक डॉ. दिनेश का कहना है कि समाज में अपराध का भी अपना ही मनोविज्ञान है. आदतन अपराधी क्राइम किये के बिना नहीं रह सकता. ये सही है कि लॉकडाउन लगने से चोरी के मामले कम हुए, लेकिन घरेलू हिंसा बढ़ गई. इसी तरह दुष्कर्म के मामले भी बढ़े हैं.

Murder and rape cases increased in Himachal during the Corona period
फोटो.

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Published : May 29, 2021, 7:54 PM IST

शिमला:वैश्विक महामारी कोरोना के इस दौर में देवभूमि हिमाचल के क्राइम ट्रेंड पर नजर डालना दिलचस्प है. पिछले साल जब लॉकडाउन था तो लोग घर में कैद हो गए. ऐसे में चोरों का भी हौसला नहीं हुआ कि सेंधमारी कर पाएं. पिछले साल के आंकड़े गवाह हैं कि पूरे वर्ष में चोरी के केवल 347 मामले आए. अलबत्ता मर्डर के मामलों में आश्चर्यजनक तौर पर बढ़ोतरी हुई.

पिछले साल लॉकडाउन का समय था. तब यानी 2020 में हिमाचल में 92 मर्डर हुए. वर्ष 2019 में 70 हत्याएं हुई, लेकिन 2021 में भी अप्रैल महीने तक 27 मर्डर हो चुके हैं. जबकि इसी समय अवधि में पिछले साल 25 मर्डर हुए थे. यानी प्रदेश में हत्याओं का सिलसिला करीब-करीब एक जैसा ही है.

नए साल में बढ़े एक्सीडेंट के केस

यदि अप्रैल महीने के आंकड़ों का तुलनात्मक ब्यौरा देखें तो 2020 में अप्रैल तक 135 चोरियां हुई. इस साल यानी 2021 में चोरियों का ये आंकड़ा 153 हो गया. जब कोरोना महामारी नहीं थी, तो वर्ष 2019 में चोरियों के 477 मामले सामने आए. इसी तरह लॉकडाउन में एक्सीडेंट भी कम हुए. नए साल में एक्सीडेंट के केस भी बढ़े. वर्ष 2020 में एक्सीडेंट के कुल 2236 मामले पेश आए.

दुष्कर्म के मामलों में इजाफा

वर्ष 2020 के जनवरी से अप्रैल तक के आपराधिक आंकड़ों की अगर इस वर्ष यानी 2021 में अप्रैल तक की अवधि की तुलना की जाए तो हत्या के मामले पहले के मुकाबले दो अधिक हैं. अलबत्ता महिलाओं के प्रति क्रूरता के मामलों में गिरावट है. वहीं, दुष्कर्म के मामले बढ़े हैं. वर्ष 2020 में रेप के 331 केस आए. इस साल अप्रैल तक ये आंकड़ा 106 का है, जबकि पिछले साल अप्रैल तक रेप के 79 ही मामले सामने आए थे.

साल 2020 के आपराधिक मामले
अपराध संख्या अपराध संख्या
मर्डर 92 गैर इरादतन मर्डर 06
अटैंप्ट टू मर्डर 70 दुष्कर्म 331
अपहरण 345 दहेज उत्पीड़न से मौत 01
महिलाओं के प्रति क्रूरता 258 लज्जा भंग 539
चोट पहुंचाना 688 फसाद 447
हादसे 2236 चोरी 347
सेंधमारी 276 डकैती 02
लूट 08 अन्य अपराध 9153
एनडीपीएस एक्ट से जुटे अपराध 1538 एससी-एसटी एक्ट 222
पीसीआर एक्ट 04 आबकारी एक्ट 2819
वन एक्ट 169 आइटी एक्ट 91
अन्य कानूनों के तहत कवर अपराध 989 कुल अपराध 20630

2020 व 2021 में अपराध के तुलनात्मक आंकड़े

हिमाचल प्रदेश पुलिस से हासिल आंकड़ों का यदि पिछले साल के अप्रैल महीने और इस साल के अप्रैल महीने का तुलनात्मक अध्ययन करें तो निम्न तस्वीर सामने आती है. प्रदेश में वर्ष 2020 में अप्रैल महीने तक मर्डर के 25 केस, गैर इरादतन हत्या का एक मामला, हत्या के प्रयास के 17 मामले, दुष्कर्म के 79, अपहरण के 96, एक्सीडेंट के 600, चोरी के 135, डकैती के 2 मामले सामने आए. इसी तरह वर्ष 2021 में अप्रैल तक मर्डर के 27, गैर इरादतन हत्या के 3, हत्या के प्रयास के 18 व दुष्कर्म के 106 मामले सामने आए. इस अवधि में इस साल दुष्कर्म के मामले पिछले साल की तुलना में बढ़े हैं. एक्सीडेंट के केस भी पिछले साल के मुकाबले अधिक पेश आए हैं. इस साल अप्रैल तक प्रदेश भर में एक्सीडेंट के 786 मामले आए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में ये आंकड़ा 600 का था.

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कोरोना काल में सक्रिय हुए साइबर अपराधी

कोरोना के इस दौर में अपराधियों ने भी क्राइम करने के नए तरीके खोजे. अब साइबर अपराध के मामले अधिक आ रहे हैं. ठगों ने लोगों को अपना शिकार बनाने के नए-नए तरीके खोज लिए. पिछले साल कोरोना में लॉकडाउन भी लगा था. वर्ष 2020 में साइबर क्राइम के 3800 से अधिक शिकायतें आई. इस साल अप्रैल महीने तक 870 शिकायतें आई. वहीं, कोरोना से पहले वर्ष 2019 में केवल 1638 मामले ही सामने आए थे. अब साइबर ठग अधिकांशत: महिलाओं को शिकार बना रहे हैं. सिम ब्लॉक होने का मैसेज देकर ओटीपी के बहाने चूना लगा रहे हैं. फोटोशॉप से ब्लैकमेल कर रहे हैं. डेबिट-क्रेडिट कार्ड से ठगी के केस तो हैं ही, लेकिन सिम ब्लॉक करने की फर्जी चेतावनी देकर भी लोगों को ठगा जा रहा है. साइबर सेल के एएसपी नरवीर सिंह राठौर के अनुसार महामारी में अपराधियों ने साइबर ठगी के नए तरीके तलाश लिए.

क्राइम किये बिना नहीं रह सकता आदतन अपराधी

मनोवैज्ञानिक डॉ. दिनेश बताते हैं कि समाज में अपराध का भी अपना ही मनोविज्ञान है. आदतन अपराधी क्राइम किये के बिना नहीं रह सकता. ये सही है कि लॉकडाउन लगने से चोरी के मामले कम हुए, लेकिन घरेलू हिंसा बढ़ गई. इसी तरह दुष्कर्म के मामले भी बढ़े हैं. डॉ. दिनेश का कहना है कि समाज के सभी अंगों को अपना फर्ज समझना चाहिए. पुलिस कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए होती है. घर में मां-पिता की जिम्मेदारी होती है कि वो युवाओं को नशे से बचाएं. कई अपराध नशे की आदत के कारण होते हैं. युवा नशे की लत पूरा करने के लिए चोरी करते हैं. शराब के नशे में आपसी मारपीट से भी कई बार जान जाती है. कोरोना संकट ने परिवार को एक साथ रहने की आदत डाली है, ऐसे में सभी को आत्म अवलोकन करना चाहिए. अपराध मुक्त समाज के लिए सभी को प्रयास करने की जरूरत है.

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